Dussehra 2022: विजयदशमीं का त्यौहार पूरे देश में धूम-धाम से मनाया जाता है। इस दिन रावण दहन का आयोजन किया जाता है। सभी लोग उत्साह के साथ अधर्म पर धर्म की जीत का जश्न मनाते हैं। आप सभी को पता होगा कि रावण दहन की शुरुआत त्रेता युग से रामायण काल से हुई थी। मगर कई सारे लोग इस बात से अंजान होंगे की इसका संबंध द्वापर युग के महाभारत काल से भी है। जी हां, ये महाभारत काल के भी विजयगाथा से जुड़ा हुआ था। जब सभी पांडव अज्ञात वास में थे तब अर्जुन ने भी एक विजय प्राप्त की थी। तब से लेकर आज तक दशहरा का रहस्य महाभारत से भी जुड़ा हुआ है। तो आइए इस आर्टिकल में जानते हैं विस्तार से।
गायों की रक्षा के लिए हुआ था महा युद्ध
जब सभी पांडव जुए में हार गए तब उन्हे अज्ञात वास पर जाना था। तब सभी पांडवों ने अपना अज्ञात वास विराटनगर में गुजारा। इसमें जब किचक का वध हो गया तब सुशर्मा और कौरव सेना दोनों मिल कर विराट नगर पर हमला कर दिए। विराट नगर की सभी गायों को उन्होंने चुरा लिया। तभी विराट नगर के राजा और उन्हें पुत्र उत्तर कुमार कौरवों के साथ युद्ध करने लग गए।
जानें इतिहास
मगर शत्रु इतना शक्तिशाली थे की वो टिक नहीं पाए और मैदान छोड़ कर भागने लग गए। ये देखने के बाद अर्जुन से रहा नहीं गया और वो बृहन्नला का भेष त्याग दिए। इसके बाद वो अपना गांडीव निकाल कर अकेले ही युद्ध करने चले गए। इस युद्ध में अकेले ही अर्जुन ने युद्ध जीत लिया और कौरवों की भारी सेना को हराकर विजय प्राप्त किया।
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इसके बाद भीष्म ने शंख बनाकर अर्जुन के विजय होने का सूचना पूरे नगर को दिए और सभी गायों को हस्तिनापुर ले जाने का निर्देश भी दिए। इसके बाद जब सभी युद्ध से लौट रहे थे तब कौरव सेना दुर्योधन ने अर्जुन को रास्ते में घेर लिया। उस समय अर्जुन पर दुर्योधन, कर्ण, द्रोण और पितामह भीष्म ने हमला कर दिया। मगर अर्जुन सभी को युद्ध में फिर से जीत गए। तभी सूर्य पुत्र कर्ण को भी रणभूमि छोड़ कर जाना पड़ा।
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