यूं तो भारत में हजारों ऐसी महिलाएं हुई हैं जिनकी पतिव्रता पालन की मिसाल दी जाती है, लेकिन उनमें से भी कुछ ऐसी हैं जो इतिहास का अमिट हिस्सा बन चुकी हैं। लेकिन क्या कोई विवाहिता होकर भी कुंवारी कहला सकती है। हम आज आपको बताने जा रहे हैं कि शास्त्रों में पांच स्त्रियों को अक्षत कुमारी माना गया है। ये हैं अहिल्या (ऋषि गौतम की पत्नी), द्रौपदी (पांडवों की पत्नी), कुंती (पांडु की पत्नी), मंदोदरी (रावण की पत्नी) तथा तारा (वानरराज बाली की पत्नी)।

पांच स्त्रियों के लिए श्लोक में किया गया कन्या शब्द का प्रयोग

शास्त्रों में कहा गया है कि इन चारों का स्मरण करना भी महापापों को भी खत्म करने में सक्षम हैं। इन्हें अक्षत कुमारी माना गया है। श्लोक में इन पात्रों के लिए कन्या शब्द का उपयोग किया गया है, नारी शब्द का नहीं। इन चार कन्याओं का प्रतिदिन स्मरण करने से सारे पाप धुल जाते हैं। ये चार स्त्रियां विवाहिता होने पर भी कन्याओं के समान ही पवित्र मानी गई है। सोचने की बात ये है की ये चारों विवाहित होने के बावजूद विवाहित क्यों नहीं मानी गई। सवाल ये उठता है कि विवाहिता होते हुए भी इन्हें कौमार्या क्यों माना गया है।

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अहिल्या (ऋषि गौतम की पत्नी)

वह अपने पति के प्रति पूरी तरह से निष्ठावान थी और यही कारण था कि उन्हें कौमार्य (पवित्र माना गया है। इसी तरह हस्तिनापुर के राजा पांडु की पत्नी कुंती को ऋषि दुर्वासा ने एक मंत्र दिया था। मंत्र ऐसा था कि उसके उपयोग से वह जिस भी देवता यान कर करेंगी, उनसे उन्हें पुत्र की प्राप्ति होगी, कुंती इस मंत्र को परखना चाहती थी। उन्होंने सूर्य का ध्यान करते हुए मंत्र का जप किया। सूर्य प्रकट हुए और उन्हें पुत्र के रूप में कर्ण की प्राप्ति हुई।

कुंती (पांडु की पत्नी)

कुंती और पांडु का विवाह स्वयंवर में हुआ था। पांडु को श्राप था कि वह अगर स्त्री को स्पर्श करेंगे तो उसकी मृत्यु हो जाएगी। पांडु आए दिन इस चिंता में डूबे रहते थे कि उनकी मृत्यु के बाद कुरु वंश खत्म हो जाएगा। इसलिए कुंती ने धर्म देव से युधिष्ठिर, वासुदेव से भीम और इंद्रदेव से अर्जुन को पुत्र के रूप में पाया । यही कारण है कि अलग-अलग देवताओं से संतान प्राप्ति के बाद भी कुंती को कौमार्य; पवित्रद्ध माना गया।

द्रौपदी (पांडवों की पत्नी)

कहते हैं कि द्रौपदी का जन्म यज्ञ से हुआ था इसीलिए उसे याज्ञनी कहा जाता था। द्रौपदी को पंचकन्याओं में शामिल किया गया है। द्रोपदी अत्यंत धीरजवान, पवित्र और महान महिला थी। महाभारत काल में यह 5 पांडवों की पत्नी थी द्रौपदी के चीर हरण प्रकरण में श्रीकृष्ण ने द्रौपदी की लाज बचाई।

मंदोदरी (रावण की पत्नी)

पंच कन्याओं में से एक मंदोदरी को चिर कुमारी के नाम से भी जाना जाता है। मंदोदरी राक्षसराज मयासुर की पुत्री थीं। रावण की पत्नी मंदोदरी की मां हेमा एक अप्सरा थी। अप्सरा की पुत्री होने की वजह से मंदोदरी बेहद खूबसूरत थी, साथ ही वह आधी दानव भी थी। भगवान शिव के वरदान के कारण ही मंदोदरी का विवाह रावण से हुआ था। मंदोदरी ने भगवान शंकर से वरदान मांगा था कि उनका पति धरती पर सबसे विद्वान ओर शक्तिशाली हो। मंदोदरी से रावण को जो पुत्र मिले उनके नाम हैं- मेघनाद, महोदर, प्रहस्त, विरुपाक्ष भीकम वीर।

तारा (वानरराज बाली की पत्नी)  

तारा एक अप्सरा थी जो समुद्र मंथन के दौरान निकली थी। बाली और सुषेण दोनों ही इसे अपनी पत्नी बनाना चाहते थे। उस वक्त निर्णय हुआ कि जो तारा के वामांग में खड़ा है वह उसका पति और जो दाहिने हाथ की ओर खड़ा है वह उसका पिता होगा। इस तरह बाली का विवाह तारा से हो गया। बाली के वध के बाद उसकी पत्नी तारा को बहुत दुख हुआ। तारा एक अप्सरा थी। बाली को को छल से मारा गया। यह जानकर उनकी पत्नी तारा ने श्रीराम को कोसा और उन्हें एक श्राप दिया। श्राप के अनुसार भगवान राम अपनी पत्नी सीता को पाने के बाद जल्द ही खो देंगे। उसने यह भी कहा कि अगले जन्म में उनकी मृत्यु उसी के पति द्वारा हो जाएगी। अगले जन्म में भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में जन्म लिया था और उनके इस अवतार का अंत एक शिकारी भील जरा द्वारा किया गया था।

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