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भारत में हर साल विटिलिगो के 1 लाख से ज्यादा मामले सामने आते हैं। शरीर पर होने वाले सफेद दाग को विटिलिगो या ल्यूकोडर्मा भी कहते हैं। यह ऑटोइम्यून डिजीज है। इसे लेकर कई सारी धारणाएं बनी हुई है, इसलिए आज हम जानते है इन धारणों का असली सच आपको बता रहे हैं।
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ऐसी कोई स्टडी नहीं मिलती है, कि मछली का दूध पीने से सफेद दाग होते है। एक्सपर्ट बताते हैं कि यह एक (ऑटोइम्यून डिसऑर्डर) जब शरीर का इम्यून सिस्टम शरीर के हेल्दी सेल्स को अटैक करने लगता है। जिस पर भोजन के कॉम्बिनेशन का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
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जानकार बताते हैं कि विटिलिगों की बीमारी संक्रामक नहीं होती है। ऐसे में इससे ग्रसित मरीजों के खाने-पीने छूने से, छु लेने से, रक्त या सेक्स करने से यह बीमारी नहीं फैलती है।
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यह धारणा भी बिल्कुल गलत है कि विटिलिगों एक ऑटोइम्यून के वजह से होने वाली बीमारी है। इसमें किसी बाहरी तत्वों का योगदान नहीं होता है।
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शरीर पर पड़ने वाले सफेद दाग संक्रामक जानलेवा नहीं होते हैं। इस बीमारी का इलाज पूरी तरह से संभव है। सफेद दाग के उपचार से प्रभावित त्वचा का रंग वापस आ सकता है।
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