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8th Pay Commission: केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स की बढ़ी टेंशन, मिनिमम सैलरी बढ़ते ही डीए हो जाएगा जीरो! कैलकुलेशन जान पकड़ लेंगे माथा; जानें सबकुछ

8th Pay Commission: जनवरी में केंद्र सरकार ने 8वें वेतन आयोग को मंजूरी दे दी थी। हाल ही में केंद्र सरकार ने ToR को मंजूरी दे दी है।

8th Pay Commission
फाइल फोटो प्रतीकात्मक

8th Pay Commission: हर 10 साल में नया वेतन आयोग में बढ़ोतरी की जाती है। मालूम हो कि इसी साल के अंत में 7वें वेतन आयोग की अवधि पूरी होने जा रही है। मालूम हो कि इसी साल जनवरी में केंद्र सरकार ने 8वें वेतन आयोग को मंजूरी दे दी थी। वहीं दिवाली का तोहफा देते हुए हाल ही में केंद्र सरकार ने Terms of Reference (ToR) को मंजूरी दे दी है. इसका मतलब साफ है अब सरकारी कर्मचारियों की सैलरी, पेंशन और भत्तों की दोबारा समीक्षा होगी। हालांकि एक खबर जो तेजी से फैल रही है, वह ये कि क्या मिनिमम सैलरी में बढ़ोतरी के बाद डीए जीरो हो जाएगा। चलिए आपको बताते है इससे जुड़ी सभी अहम जानकारी।

केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स की बढ़ी टेंशन – 8th Pay Commission

मालूम हो कि 7वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.57 के तहत मिनिमम सैलरी में बढ़ोतरी की गई थी। मान लीजिए की अगर 8वें वेतन आयोग के तहत फिटमेंट फैक्टर बढ़ता है तो मिनिमम सैलरी में अच्छी खासी बढ़ोतरी होगी। इस बढ़ी हुई बेसिक सैलरी पर ही महंगाई भत्ता (DA), हाउस रेंट अलाउंस (HRA) और दूसरे भत्ते तय होते हैं। मालूम हो कि अभी कर्मचारियों का डीए 58 प्रतिशत है। वहीं नए वेतन आयोग के तहत मिनिमम सैलरी बढ़ने पर डीए रीसेट होकर जीरो हो जाएगा। हालांकि फिर 6 महीने के बाद डीए में 5 प्रतिशत, फिर 10 प्रतिशत ऐसे धीरे-धीरे बढ़ोतरी शुरू हो जाएगी।

क्या 2026 में नहीं लागू होगा 8वां वेतन आयोग?

केंद्र सरकार की तरफ से 8वें वेतन आयोग की मंजूरी जनवरी 2025 में दे दी गई थी, लेकिन 11 महीने बीतने के बाद भी अभी तक इसे लेकर किसी प्रकार की अपडेट सामने नहीं आ रही है, और जबतक 8वें वेतन आयोग के तहत कमेटी का गठन नहीं होगा, तब तक नया वेतन आयोग लागू नहीं होगा, ऐसा इसलिए क्योंकि कमेटी द्वारा ही केंद्र सरकार की तरफ से रिपोर्ट पेश की जाती है, और उसके बाद केंद्र सरकार उसे मंजूरी देता है। वहीं कमेटी गठन के रिपोर्ट तैयार करने में करीब 1 से 1.5 साल तक का समय लग जाता है। यही वजह है कि धीरे-धीरे केंद्र कर्मचारियों और पेंशनर्स की उम्मीद कम होती जा रही है।

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