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Fish Farming: खेती छोड़ शुरू किया मछली पालन, हर साल लाखों की कमाई…पढ़ें Success Story

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Fish Farming
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Fish Farming: भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में वर्तमान समय में मछली पालन का व्यवसाय काफी फल-फूल रहा है। किसानों का रुख मछली पालन व्यवसाय की ओर ज्यादा है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि किसान नई तकनीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं और इससे बढ़िया मुनाफा भी कमा रहे हैं। आज हम आपको झारखंड के हजारीबाग जिला निवासी जोधन प्रसाद की सक्सेस स्टोरी बताते हैं। जोधन प्रसाद वर्तमान समय में मछली पालन (Fish Farming) कर लाखों की कमाई कर रहे हैं।

हजारीबाग निवासी जोधन प्रसाद पहले खेती-बाड़ी करते थे। बाद में वे खेती-बाड़ी छोड़कर मछली पालक बन गए। BA करने के बाद जोधन प्रसाद ने एक तलाब में मछली पालन का काम शुरू किया। शुरुआती दौर में मछली पालन से उन्हें प्रत्येक महीने 32 हजार रुपए की कमाई हो जाती थी। इससे वे अपनी जरूरतों को पूरा कर पाते थे। लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने अपने व्यवसाय में विस्तार किया और आज लाखों रुपए कमा रहे हैं।

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कहां से आया आइ़डिया (Fish Farming)

शुरुआती दौर में जोधन प्रसाद को बीमारी और फंड की कमी जैसी चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा। इस दौरान उन्होंने Cage Culture में लगे कई मछली पालकों से मुलाकात की। उनसे उन्होंने मछली पालन में अपनाई जाने वाली तकनीक, उत्पादन और फायदे के बारे में विस्तार से जानकारी ली। इसके बाद उन्होंने भी केज कल्चर के माध्यम से ही मछली पालन करने की ठान ली।

केज कल्चर विधि से मछली पालन

इसके बाद जोधन प्रसाद ने झारखंड में नीली क्रांति योजना के तहत केज कल्चर गतिविधि के लिए आवेदन किया। उन्होंने 1.8*2.4*1.2 m3 डायमेंशन के साथ करीब 12 टन उत्पादन क्षमता के साथ केज लगाया। उन्होंने करीब 3 लाख रुपए में मछली पालन का काम शुरू किया था।

प्रोजेक्ट की लागत 3 लाख रुपए

राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड के मुताबिक इस प्रोजेक्ट की कुल लागत 3 लाख रुपये थी। इसमें से 2.7 लाख रुपए की किसान को सब्सिडी मिलती थी। सब्सिडी मिलने के बाद जोधन प्रसाद ने मछली पालन में शामिल सभी जरूरी कामों को किया। उनका कहना है कि वे बेहतर मैनेजमेंट का पालन (Fish Farming) करते हैं।

बेहतर मैनेजमेंट का पालन (Fish Farming)

जोधन प्रसाद का कहना है कि वे केज के जाल की नियमित सफाई करते हैं। साथ ही जाल की ट्रीटमेंट, पानी को बदलने के लिए केज को एक अंतराल पर ट्रांसफर करने का भी काम नियमित अंतराल पर करते हैं। इसके साथ-साथ सर्दियों के मौसम में प्रत्येक केज में चूने की थैली लटकाना, फीडिंग मैनेजमेंट और समय पर मछलियों को निकालकर बेचना भी चुनौतीपूर्ण काम होता है। इसे भी वे नियमित तौर पर करते हैं।

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कमा रहे 10 लाख रुपए का मुनाफा 

राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड की मानें तो वर्तमान समय में हजारीबाग के जोधन प्रसाद मछली पालन से काफी मुनाफा कमा रहे हैं। जोधन प्रसाद केज कल्चर से मछली पालन कर रहे हैं। वे सालाना करीब 10 टन मछली का उत्पादन कर रहे हैं। इससे उनको सालाना 10 लाख रुपए से ज्यादा का मुनाफा मिल रहा है। साथ ही साथ उन्होंने 90 लोगों को रोजगार भी लगाया है।

क्या है केज कल्चर (Fish Farming)

अब आपको बताते हैं कि केज कल्चर होता क्या है और कैसे इस कल्चर से हम मछली पालन कर लाखों रुपए मुनाफा कमा सकते हैं। दरअसल, केज कल्चर वह कल्चर है जिसमें जलाशयों में निर्धारित जगह का चयन किया जाता है। इसके बाद निर्धारित जगहों पर फ्लोटिंग ब्लॉक बनाए जाते हैं। ये सभी ब्लॉक इंटरलॉकिंग रहते हैं।

10 महीनों में एक किलो की हो जाती है मछलियां

बता दें, फ्लोटिंग ब्लॉक का करीब तीन मीटर हिस्सा पानी में डूबा रहता है। इस ब्लॉक के एक मीटर का हिस्सा ऊपर तैरते हुए दिखाई देता है। वहीं, फ्लोटिंग ब्लॉक बनाने के बाद जालों में 100-100 ग्राम वजन की मछलियां पालने के लिए छोड़ दी जाती हैं। इसके बाद मछलियों को रोज आहार दिया जाता है। इस कल्चर में यह भी ध्यान रखने की जरूरत है कि इसमें पंगेसियस प्रजाति की मछली का ही पालन होता है। 10 महीनों में ये मछलियां करीब एक किलो की हो जाती हैं।

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