Home ख़ास खबरें Indian Jobs at Risk: 2 करोड़ भारतीयों की नौकरी पर खतरा, मार्सेलस...

Indian Jobs at Risk: 2 करोड़ भारतीयों की नौकरी पर खतरा, मार्सेलस इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के संस्थापक ने दी कड़ी चेतावनी; जानें पूरी खबर

Indian Jobs at Risk: मार्सेलस इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के संस्थापक सौरभ मुखर्जी ने चेतावनी देते हुए कहा है कि 2 करोड़ भारतीयों की नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है। भारत सरकार को इसे रोकने के लिए कोई मजबूत रणनीति बनानी होगी।

Indian Jobs at Risk
Indian Jobs at Risk, Photo Credit: Google

Indian Jobs at Risk: देश के मिडिल क्लास पर हमेशा से ही नौकरी का काफी दबाव रहा है। नौकरी जाने का खतरा भी सबसे ज्यादा मध्यम वर्ग पर पड़ता है। इसी बीच मिडिल क्लास के लिए एक डराने वाली खबर सामने आई है। ‘Aajtak’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इंडिया में मध्यम वर्ग की नौकरियों पर खतरा मंडराता जा रहा है। इस बार आर्थिक मंदी नहीं, बल्कि कई अन्य कारण इसकी वजह बताए जा रहे हैं। मार्सेलस इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के संस्थापक सौरभ मुखर्जी ने सख्त चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर सही टाइम पर भारत सरकार ने कोई पुख्ता रणनीति नहीं बनाई, तो इसके नतीजे काफी गंभीर साबित हो सकते हैं।

Indian Jobs at Risk: एआई का विस्तार मिडिल क्लास को कर रहा कमजोर

रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि मार्सेलस इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के संस्थापक सौरभ मुखर्जी ने कहा है कि सफेदपोश नौकरियों के निर्माण में कमी, वास्तविक मजदूरी में कमी तथा एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का तेजी से होता विस्तार, मध्यवर्ग के उस इंजन को कमजोर कर रहे हैं, जिसने लंबे समय से भारत की विकास को गति दी है। आईटी, बैंकिंग और मीडिया जैसी मिडिल क्‍लास नौकरियों की जगह गिग जॉब्‍स ले लेगा।

रिपोर्ट में आगे दावा किया गया है कि दिवाली 2023 के बाद से भारतीय कंपनियों की आय वृद्धि में भारी गिरावट आई है, जिसकी वजह खपत में गिरावट है। इसकी वजह यह है कि मध्यम वर्ग के भारतीयों के पास पैसे खत्म हो रहे हैं। आरबीआई के आंकड़े बताते हैं कि वित्त वर्ष 2024 में जीडीपी के हिस्से के रूप में घरेलू बचत 50 साल के निचले स्तर पर आ गई है, जो आखिरी बार 1977 में देखा गया था।

इस वजह से खतरे में भारतीयों की नौकरियां

सौरभ मुखर्जी के दावे के मुताबिक, भारत में नौकरियां एक और भी भयावह कहानी बयां करती हैं। 2020 से पहले एक दशक तक व्हाइट कॉलर जॉब्स हर छह साल में दोगुनी होती थीं। वित्त वर्ष 2020 से यह वृद्धि दर घटकर केवल 3 फीसदी वार्षिक रह गई है, यानी अब नौकरियों को दोगुना होने में 24 साल लगेंगे। मध्यम वर्ग के रोजगार की रीढ़, आईटी, सॉफ्टवेयर और रिटेल, स्थिर हो गए हैं।

मार्सेलस इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के संस्थापक ने कहा, ‘भारत के 4 करोड़ सफेदपोश कमाई करने वालों के लिए जो अपने खर्च से लगभग 20 करोड़ नौकरियों को पैदा करते हैं, यह एक खतरे की घंटी है।’ उन्होंने चेतावनी देते कहा हैं कि जब तक वेतन और रोजगार सृजन में सुधार नहीं होता, भारत में मध्यम वर्ग की लंबे समय तक तंगी बनी रहेगी, जिससे उसकी आर्थिक गति पर असर पड़ सकता है।

Exit mobile version