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New Labour Laws: पांच साल की टेंशन खत्म, एक साल में बंपर ग्रेच्युटी, जान लिए तो मजा आ जाएगा, कई काम हो जाएंगे आसान

New Labour Laws: केन्द्र की मोदी सरकार ने नए श्रम कानून में कामगारों की सैलरी, ग्रेच्युटी, पेंशन और पीएफ से जुड़े नियमों में अहम बदलाव किए हैं। इसमें एक सबसे बड़ा बदलाव ग्रेच्युटी को लेकर किया गया है। नए श्रम कानून के तहत फिक्स्ड-टर्म एम्प्लॉई को भी सिर्फ़ एक साल काम करने पर ग्रेच्युटी का लाभ मिल सकेगा। अब किसी भी कामगार को पांच साल तक नौकरी करने का इंतज़ार नहीं करना पड़ेगा।

New Labour Laws
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New Labour Laws: पिछले शुक्रवार को केंद्र सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए पांच साल पहले बनाए गए चार लेबर कोड को लागू करने का ऐलान किया, जिससे सालों से चले आ रहे पुराने और उलझे हुए श्रम कानूनों की जगह नए श्रम कानून लागू हो गए। इसके बाद से ही पूरे देश में इस पर गरमागरम बहस छिड़ गई है। कई श्रमिक संगठन इस नए लेबर कानून को कामगारों के अधिकारों के खिलाफ बता रहे हैं।

दूसरी ओर, ज़्यादातर लेबर ऑर्गनाइज़ेशन मोदी सरकार के इस फैसले पर खुशी जता रहे हैं। नए श्रम कानून को देशभर में लागू करने को लेकर मोदी सरकार का पहला उद्देश्य भारत में श्रमिकों को लेकर कानून को आसान बनाना और कामगारों के लिए बेहतर सैलरी, सुरक्षा, सोशल सिक्योरिटी और भविष्य की भलाई सुनिश्चित करना है। केंद्र सरकार ने नए श्रम कानून में बड़े बदलाव किए हैं। इसमें ग्रेच्युटी से जुड़ा सबसे बड़ा सुधार भी शामिल है। जिससे कामगारों को सबसे ज़्यादा फ़ायदा होने की उम्मीद है।

एक साल की नौकरी पर मिलेगी ग्रेच्युटीNew Labour Laws

आपको बता दें कि केन्द्र की मोदी सरकार ने नए श्रम कानून में कामगारों की सैलरी, ग्रेच्युटी, पेंशन और पीएफ से जुड़े नियमों में अहम बदलाव किए हैं। इसमें एक सबसे बड़ा बदलाव ग्रेच्युटी को लेकर किया गया है। सबसे पहले कामगारों को यह जानना जरुरी है कि ग्रेच्युटी का लाभ किन किन कर्मचारियों को मिल सकता है? दरअसल पहले ग्रेच्युटी प्राप्त करने करने के लिए पांच साल तक नौकरी करना ज़रूरी माना जाता था। लेकिन, नए श्रम कानून के तहत, फिक्स्ड-टर्म एम्प्लॉई को भी सिर्फ़ एक साल काम करने पर ग्रेच्युटी का लाभ मिल सकेगा। अब किसी भी कामगार को पांच साल तक नौकरी करने का इंतज़ार नहीं करना पड़ेगा। फिक्स्ड-टर्म एम्प्लॉई वे होते हैं जिन्हें एक तय समय के लिए या कोई खास प्रोजेक्ट पूरा होने तक काम पर रखा जाता है।

बता दें कि नए नियमों में सरकार के द्वारा यह साफ तौर पर कहा गया है कि फिक्स्ड-टर्म एम्प्लॉई को पर्मानेंट एंप्लाई से जुड़े सभी तरह के फायदे दिए जाएंगे। इनमें वर्कर्स लीव से लेकर मेडिकल और सोशल सिक्योरिटी तक सब कुछ शामिल है। यानी यह साफ कर दिया गया है कि फिक्स्ड-टर्म एम्प्लॉई को पर्मानेंट स्टाफ के बराबर सैलरी देने के साथ ही प्रोटेक्शन का खासा ध्यान देना अनिवार्य है। कंपनियों को अब उनकी बेसिक सैलरी का कम से कम 50 परसेंट रखना भी आवश्यक कर दिया गया है। नतीजतन, अब कामगारों को वेतन और प्रोविडेंट फंड (पीएफ) के साथ-साथ ग्रेच्युटी की रकम भी बढ़ जाएगी। वहीं टैक्स-फ्री ग्रेच्युटी की लिमिट 10 लाख से बढ़ाकर 20 लाख रुपए तक कर दी गई है।

एक साल की नौकरी पर कितनी ग्रेच्युटी मिलेगी? – नए श्रम कानून

मालूम हो कि ग्रेच्युटी कैलकुलेट करने का तरीका बहुत आसान है। ऐसे में अगर आप एक साल की नौकरी पर अपनी ग्रेच्युटी की रकम पता करने चाहते हैं तो एक फ़ॉर्मूला इस्तेमाल कर सकते हैं। अपना ग्रेच्युटी फ़ंड कैलकुलेट करने के लिए, फ़ॉर्मूला (पिछली सैलरी) x (15/26) x (कंपनी में काम किए गए साल) इस्तेमाल करें।

  • ग्रेच्युटी = अंतिम बेसिक सैलरी × (15/26) × कंपनी में कितने साल काम किया

अब मान लेते हैं कि किसी कर्मचारी की अंतिम बेसिक सैलरी 50000 रुपये है। वह 1 साल काम करके नौकरी छोड़ देता है तो ग्रेच्युटी इस हिसाब से मिलेगी..

  • मतलब, 50000 × (15/26) × 1 = 28847 रुपये ।

आप इस फॉर्मूले के तहत पता कर सकते हैं कि आपकी ग्रेच्युटी कितनी बन रही है। ग्रेच्युटी पीरियड को एक साल तक बढ़ाने से फिक्स्ड-टर्म कर्मचारियों को ज़्यादा फ़ायदे मिलेंगे। जिनका कॉन्ट्रैक्ट अक्सर पांच साल से कम का होता है। नए श्रम कानून देश के सभी कारखानों, खदानों, बंदरगाहों, तेल क्षेत्रों और रेलवे पर लागू होता है।

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