Asaduddin Owaisi: मुखरता के साथ अपना पक्ष रखने वाले AIMIM सांसद ने अबकी बार अमेरिकी राष्ट्रपति को आड़े हाथों लिया है। असदुद्दीन ओवैसी ने भारत पर टैरिफ बम फोड़ने वाले डोनाल्ड ट्रंप को नसीहत दी है। सांसद ओवैसी का कहना है कि भारत पर टैरिफ लगाना कूटनीति नहीं, बल्कि उस मूर्ख की धौंस है जो साफ तौर पर नहीं समझता कि वैश्विक व्यापार कैसे काम करता है। Asaduddin Owaisi ने इससे इतर केन्द्र सरकार पर भी निशाना साधा है। AIMIM चीफ ने साफ तौर पर पीएम मोदी को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा है कि ‘क्या अपनी रणनीतिक स्वायत्तता को बेचना आपके दोस्तों के अरबपतियों के खजाने भरने के लायक था?’ असदुद्दीन ओवैसी की ये प्रतिक्रिया अब खूब सुर्खियों में है।
टैरिफ वॉर को लेकर छिड़ी चर्चा के बीच Asaduddin Owaisi का करारा प्रहार
दुनिया में अमेरिकी टैरिफ को लेकर छिड़े घमासान के बीच सांसद असदुद्दीन ओवैसी की तल्ख प्रतिक्रिया सामने आई है।
AIMIM सांसद के एक्स हैंडल से पोस्ट जारी कर लिखा गया है कि “ट्रंप ने भारत पर 25% का और टैरिफ लगा दिया है, जिससे यह 50% हो गया है, क्योंकि हम रूस से तेल खरीदते हैं। यह कूटनीति नहीं, बल्कि उस मूर्ख की धौंस है जो साफ़ तौर पर नहीं समझता कि वैश्विक व्यापार कैसे काम करता है।”
टैरिफ के असर पर बात करते हुए Asaduddin Owaisi लिखते हैं कि “ये टैरिफ भारतीय निर्यातकों, एमएसएमई और निर्माताओं को नुकसान पहुंचाएंगे। यह आपूर्ति श्रृंखलाओं को बाधित करेगा, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को रोकेगा और नौकरियों पर भारी असर डालेगा। लेकिन पीएम मोदी को इसकी परवाह क्यों होगी?” असदुद्दीन ओवैसी की ये प्रतिक्रिया अब तेजी से सुर्खियां बटोर रही है।
केन्द्र सरकार पर एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी का तंज
केन्द्र की सत्तारुढ़ दल पर हमला बोलते हुए Asaduddin Owaisi ने कहा है कि “अब वे भाजपाई बाहुबली कहाँ हैं? पिछली बार मैंने पूछा था कि क्या मोदी जी अपना 56 इंच का सीना तब दिखाएंगे जब ट्रंप 56 फीसदी टैरिफ लगाएँगे। ट्रंप 50 फीसदी पर ही रुक गए। शायद वे हमारे गैर-जैविक प्रधानमंत्री से डरे हुए हैं? क्या अपनी रणनीतिक स्वायत्तता को बेचना आपके दोस्तों के अरबपतियों के खजाने भरने के लायक था?” AIMIM सांसद का ये करारा तंज सरकार से सीधे सवाल के रूप में देखा जा रहा है। मालूम हो कि असदुद्दीन ओवैसी इससे पूर्व भी कई दफा केन्द्र सरकार को अमेरिकी टैरिफ वाले मसले पर घेर चुके हैं। उनका साफ कहना है कि जब तक सरकार कोई ठोस कदम नहीं उठाएगी, अमेरिका की दमनकारी नीतियों का थोपना जारी रहेगा।