Mathura Krishna Janmabhoomi Shahi Idgah Case: मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद में जिला कोर्ट ने बीते कल यानी शनिवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कोर्ट कमिश्नर को नियुक्त कर दिया है। शाही मस्जिद का 2 जनवरी से सर्वे होगा और 18 दिन में रिपोर्ट देनी होगी। बता दें कि यहां भी वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर की तरह ही मस्जिद का सर्वे होगा। इस पर हिंदूवादी संगठनों ने संतोष जताया, वहीं मुस्लिम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने नाराजगी जाहिर करते हुए सवाल उठाए हैं। मालूम हो कि श्री कृष्ण जन्मस्थान शाही ईदगाह मामले में दिल्ली के रहने वाले हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता और गुरुग्राम निवासी उपाध्यक्ष सुरजीत सिंह यादव ने सिविल जज सीनियर डिवीजन तृतीय सोनिका वर्मा की अदालत में 8 दिसंबर को वाद दाखिल किया था। मिली जानकारी के अनुसार, हिंदू सेना की तरफ से अधिवक्ता शैलेश दुबे ने कोर्ट में भगवान श्री कृष्ण के जन्म से लेकर मंदिर बनने तक का पूरा इतिहास रखा।
शाही ईदगाह में सर्वे के आदेश पर ओवैसी ने उठाए सवाल
गौरतलब है कि मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि को लेकर विवाद दशकों पुराना है। मथुरा का ये विवाद कुल 13.37 एकड़ जमीन पर मालिकाना हक से जुड़ा है। जानकारों की मानें तो 12 अक्टूबर 1968 को श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान ने शाही मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट के साथ समझौता किया था। इस समझौते में 13.7 एकड़ जमीन पर मंदिर और मस्जिद दोनों बनने की बात हुई थी। अब इस सबके बीच ईदगाह में सर्वे के आदेश पर असदुद्दीन ओवैसी का बड़ा बयान सामने आयो है। ओवैसी ने कहा है कि, “जैसा मैंने पहले कहा था, वैसा ही हो रहा है। अयोध्या के बाबरी मस्जिद के फैसले के बाद मैंने कहा था कि इससे संघियों की शरारतों को बढ़ावा मिलेगा। अब देखिए अदालत ने मथुरा में शाही ईदगाह परिसर के अंदर सबूतों की जांच के लिए कमिश्नर भी नियुक्त कर दिया है। यह सब ‘प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट’ के बावजूद हो रहा है।”
कोर्ट ने 20 जनवरी तक मांगी रिपोर्ट
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, श्रीकृष्ण जन्मस्थान और शाही ईदगाह को लेकर मथुरा कोर्ट में 12 से ज्यादा मामले चल रहे हैं। सभी में भगवान श्रीकृष्ण की 13.37 एकड़ भूमि कब्जा मुक्त करने की मांग की गई है। कोर्ट में श्रीकृष्ण विराजमान, श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास, अखिल भारत हिंदू महासभा, भगवान केशवदेव के अलावा व्यक्तिगत वाद दाखिल हैं। मालूम हो कि हिंदुओं का दावा है कि काशी और मथुरा में औरंगजेब ने मंदिर तुड़वाकर वहां मस्जिद बनवाई थी। वहीं, औरंगजेब ने 1669 में काशी में विश्वनाथ मंदिर तुड़वाया था और 1670 में मथुरा में भगवा केशवदेव का मंदिर तोड़ने का फरमान जारी किया था। इसके बाद काशी में ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद बना दी गई। बहरहाल, इस मामले में सिविल जज सीनियर डिवीजन तृतीय सोनिका वर्मा की कोर्ट ने शाही ईदगाह के विवादित स्थल के सर्वे का आदेश दिया है। इसकी रिपोर्ट सभी पक्षकारों को 20 जनवरी तक सौंपनी होगी।
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