Assembly Election 2025: चुनावी रण हो और नए-नए नारों की रचना, फिर प्रचार-प्रसार का जिक्र देश-दुनिया में होना निश्चित है। देश इसका गवाह भी रहा, जब महाराष्ट्र, झारखंड विधानसभा चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों की ओर से चुनावी नारे दिए गए। बटेंगे तो कटेंगे, एक हैं तो सेफ हैं जैसे नारों का जिक्र कर बीजेपी (BJP) महाराष्ट्र की सत्ता में लौटी। अब अगले वर्ष दिल्ली और बिहार में विधानसभा के चुनाव होने हैं जिसको लेकर तैयारियां अभी से शुरू हैं। खास तौर पर बिहार विधानसभा चुनाव 2025 (Assembly Election 2025) का जिक्र जोरों पर है। इसी बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) की पार्टी JDU ने एक नया फॉर्मूला तलाश लिया है। जेडीयू ने सीएम नीतीश कुमार की प्रगति यात्रा के दौरान ‘एकजुट NDA, एकजुट बिहार 2025’ का नारा दिया है जिसे बिहार विधानसभा चुनाव का नया फॉर्मूला माना जा रहा है।
Assembly Election 2025 ‘एकजुट NDA, एकजुट बिहार’ नारे के साथ चुनावी रण में उतरेगी BJP-JDU!
JDU के आधिकारिक एक्स हैंडल से एक पोस्ट जारी किया गया है। इस पोस्ट में बिहार विधानसभा चुनाव 2025 (Bihar Assembly Election) का जिक्र है। पोस्ट में स्पष्ट किया गया है कि ‘एकजुट NDA, एकजुट बिहार। 2025 में फिर से नीतीश कुमार।’ इस स्लोगन से स्पष्ट है कि बीजेपी-जेडीयू गठबंधन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के नेतृत्व में ही चुनावी मैदान में उतरेगी। बीजेपी के कुछ स्थानीय नेता जेडीयू के इस स्टैंड के साथ हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी नेता हैं तो अंदरखाने नीतीश कुमार के नेतृत्व को लेकर असहज नजर आते हैं। ऐसे में ‘बटेंगे तो कटेंगे’ और ‘एक हैं तो सेफ हैं’ जैसे स्लोगन के बाद जेडीयू के नए स्लोगन की चर्चा जोरों पर है।
BJP शीर्ष नेतृत्व की ओर से गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने बीते दिनों नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने को लेकर बड़ी बात कह दी थी। अमित शाह ने एक चैनल पर साक्षात्कार के दौरान कहा था कि “इस तरह के फैसलों (नेतृत्व का चेहरा चुनने) के लिए संसदीय बोर्ड है। चैनलों पर पॉलिसी वाले फैसले नहीं होते। नीतीश जी की पार्टी का भी अधिकार है। NDA मिलकर फैसला लेगा।” अमित शाह के इस बयान के बाद थोड़ा असमंजस की स्थिति पैदा हुई। हालांकि, उन्होंने साक्षात्कार के दौरान ये भी कहा कि “आप कुछ भी कर लो NDA में दरार नहीं आने वाला है।” ऐसे में अमित शाह व जेडीयू नेतृत्व की अपनी-अपनी रणनीति बाद नेतृत्वकर्ता के चेहरे को लेकर सवाल उठ रहे हैं।
BJP के लिए कितने अहम हैं CM Nitish Kumar?
तमाम स्थानीय व कुछ शीर्ष नेताओं की असहमति के बाद भी नीतीश कुमार का साथ लेना बीजेपी के लिए जरूरी क्यों है? इस सवाल का जवाब आप यूं समझिए कि केन्द्र में नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की पार्टी जेडीयू के 12 सांसद हैं। इन सभी सांसदों का समर्थन फिलहाल केन्द्र की मोदी सरकार को है। ऐसे में अगर प्रदेश स्तर पर गठबंधन में दरार आई तो इसका असर केन्द्र में भी हो सकता है।
नीतीश कुमार के साथ चुनावी रण में उतरने का एक अन्य कारण है बिहार में उनकी स्वीकार्यता। नीतीश कुमार की पैठ महिलाओं, अल्पसंख्यकों, ईबीसी और ओबीसी वर्ग में खूब है। ऐसे में यदि एनडीए में फूट पड़ी तो इसका नुकसान बीजेपी को हो सकता है और नीतीश कुमार अपने वोट बैंक को लेकर खिसक सकते हैं। बिहार बीजेपी का स्थानीय नेतृत्व मजबूत न होना भी नीतीश कुमार के लिए फायदेमंद साबित होता है और वे मजबूती से गठबंधन में बड़े भाई का पद हासिल कर लेते हैं।