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Bilkis Bano प्रकरण में SC का बड़ा फैसला, दोषियों की सजा में छूट का आदेश हुआ रद्द; जानें डिटेल

Bilkis Bano Case: सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो प्रकरण में अहम फैसला सुनाते हुए बलात्कारियों की जल्द रिहाई की अनुमति देने वाले गुजरात सरकार के आदेश को रद्द कर दिया है।

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Bilkis Bano Case
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Bilkis Bano Case: सुप्रीम कोर्ट (SC) ने आज गुजरात दंगे (2002) में सामूहिक दुष्कर्म की पीड़िता बिलकिस बानो के बलात्कारियों की जल्द रिहाई की अनुमति देने वाले गुजरात सरकार के आदेश को रद्द कर दिया है। कोर्ट की ओर से स्पष्ट किया गया है कि रिहाई पर फैसला देने का अधिकार गुजरात सरकार के पास नहीं था बल्कि यह अधिकार महाराष्ट्र सरकार के पास था। कोर्ट का मानना है कि बिलकिस बानो द्वारा 11 दोषियों की सजा की सजा को चुनौती देने वाली याचिका सुनवाई योग्य है। बता दें कि इस मामले में सुनवाई का लंबा क्रम चला जिसके बाद न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने दोषियों की सजा में छूट को चुनौती देने संबंधी याचिकाओं पर पिछले साल 12 अक्टूबर को ही अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को दोषियों के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने आज बिलकिस बानो प्रकरण में बड़ा फैसला सुनाया गया है। कोर्ट की ओर से न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्‍ना और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की विशेष पीठ ने इस पूरे प्रकरण में दोषियों की रिहाई के गुजरात सरकार के फैसले को रद्द कर दिया है। कोर्ट की ओर से स्पष्ट किया गया है कि रिहाई पर फैसला देने का अधिकार गुजरात सरकार के पास नहीं था बल्कि यह अधिकार महाराष्ट्र सरकार के पास था। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो प्रकरण में दायर हुए सभी याचिकाओं को सुनवाई के योग्य भी माना है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनाए गए इस फैसले को दोषियों के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।

गुजरात सरकार का फैसला

गुजरात सरकार ने अगस्त 2022 में बिलकिस बानो गैंगरेप केस में उम्रकैद की सजा काट रहे सभी 11 दोषियों की सजा में छूट देकर उन्हें रिहा कर दिया था। इसके बाद से दोषियों की रिहाई को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी और विपक्ष के तमाम नेताओं द्वारा इस प्रकरण में याचिका दाखिल की गई थी। बता दें कि इस मामले की सुनवाई महाराष्ट्र में हुई थी और ऐसे में गुजरात सरकार के फैसले पर खूब विवाद देखने को मिला था। कोर्ट की ओर से भी स्पष्ट किया गया है कि दोषियों की रिहाई में रियायत देने का अधिकार महाराष्ट्र सरकार को ही है। ऐसे में अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सभी 11 आरोपियों को एक फिर एक बार जेल जाना होगा।

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