सांसदों के वेतन की कटौती को लेकर सोमवार को सांसद में एक बिल पेश किया गया है। ये विधेयक सांसदों के वेतन की कटौती को लेकर है। जिसमें सांसदों के वेतन से कटे हुए पैसे को कोविड-19 से लड़ने में इस्तेमाल किया जाएगा। वहीं संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने लोकसभा में एक विधेयक पेश किया जो सदस्यों के वेतन, भत्ता, और पेंशन में संशोधन को लेकर है। जो संसद सदस्यों के वेतन, भत्ता और पेशन की जगह होगा। जोशी का कहना है कि वो ये विधेयक अधिनियम 1954 के बिल में संशोधन के लिए पेश कर रहे हैं।
बता दें कि इस अध्यादेश को 6 अप्रैल को मंजूरी मिल चुकी है और इसको 7 अप्रैल को लागू किया गया था। अध्यादेश में था कि देश में कोरोना महामारी ने राहत और सहायता के महत्व को याद दिलाया है। इस महामारी से लड़ने के लिए कुछ कड़े कदम उठाना जरूरी है।
सरकार की ओर से पेश विधेयक किसान विरोधी षड्यंत्र: कांग्रेस
वहीं कांग्रेस ने सोमवार को सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार ने लोकसभा में जो भी विधेयक पेश किया है। वह ना सिर्फ किसान विरोधी षड्यंत्र है बल्कि इससे बड़े-बड़े कारोबारियों को आजादी मिलेगी। राहुल गांधी ने ट्विट करते हुए लिखा कि, सिर्फ एक किसान ही है जो खरीद खुदरा में और अपने उत्पाद की बिक्री थोक में करते हैं। लेकिन मोदी सरकार ने तीन काले अध्यादेश के जरिए किसानों पर घातक प्रहार किया है। ताकि ना तो किसानों को एमएसपी मिले और ना ही वह अपनी पूंजी को बेच सके।
वहीं राहुल गांधी ने कहा कि अब मोदी जी इस विधेयक के जरिए एक और किसान विरोधी षड्यंत्र रच रहे हैं। वहीं लोकसभा के बाहर कांग्रसे के नेता गौरव गोगोई ने मीडिया से कहा कि सरकार जो भी 2 विधेयक लेकर आई है उससे सरकार किसान और कृषि क्षेत्र को बर्बाद करना चाहते हैं। मोदी सरकार का आज का ये दिन काले अक्षर से लिखा जाएगा। वहीं उन्होंने कहा कि हमने इस विधेयक का विरोध किया। मोदी जी का कहना है कि वह किसानों को आजादी देते हैं। ये बिल्कुल झूठ है। ये सरकार किसानों को नहीं बल्कि कारोबारियों को आजादी देती हैं।
साथ ही कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सोमवार को कृषि उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सरलीकरण) विधेयक, किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन समझौता विधेयक और कृषि सेवा अध्यादेश और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक पेश किये। इस विधेयक को अध्यादेश की जगह लाने के लिए पेश किया गया है। वहीं कुछ किसान संगठन देश के कई हिस्सों में इस विधेयक का विरोध हो रहा है।