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Delhi Dehradun Expressway वरदान या अभिशाप! पर्यावरण के लिहाज से क्यों चिंता का विषय बना ये एक्सप्रेसवे; समझे इसके मायने

Delhi Dehradun Expressway: क्या यह एक्सप्रेसवे पर्यायवरण के लिहाज से चिंता का विषय बन सकता है। संचालन से पहले कई तरह के सवाल खड़े हो रहे है।

Delhi Dehradun Expressway
फाइल फोटो प्रतीकात्मक

Delhi Dehradun Expressway: दिल्ली से देहरादून जाने वाले लोगों को काफी समय से देश के सबसे चर्चित एक्सप्रेसवे को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है। लगभग 95 प्रतिशत काम इसका पूरा हो चुका है। वहीं हाल ही इस ट्रायल भी शुरू कर दिया है। मालूम हो कि इस एक्सप्रेसवे के शुरू होने के बाद दिल्ली से देहरादून की दूरी मात्र 2.5 से 3 घंटे की रह जाएगी। जिसमे अभी करीब 6 घंटे का समय लगता है। इसके अलावा यह कई लिहाज से कई महत्वपूर्ण माना जा रहा है। लेकिन अब एक चर्चा शुरू हो गई है कि क्या यह एक्सप्रेसवे पर्यायवरण के लिहाज से चिंता का विषय बन सकता है। सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या यह एक्सप्रेसवे वरदान यह या अभिशाप।

पर्यावरण के लिहाज से क्यों चिंता का विषय बना Delhi Dehradun Expressway

आरटीआई के अनुसार दिल्ली देहरादून एक्सप्रेसवे को बनाने के लिए करीब 11 हजार के आसपास पेड़ काटे गए थे। जिसके बाद कई तरह के सवाल खड़े हो रहे थे। गौरतलब है कि एक्सप्रेसवे का ट्रायल शुरू हो चुका है और माना जा रहा है कि जल्द इसका संचालन शुरू होने की उम्मीद है। इसी बीच इसे लेकर पर्यावरण का मुद्दा गरमा गया है। गौरतलब है कि इतनी बड़ी तादात में पेड़ों की कटाई से प्राकृतिक हरियाली, ह्यूमस, मिट्टी की नमी, वायुमंडलीय संतुलन — सब प्रभावित हो सकते हैं।

लंबे समय में स्थानीय तापमान, मिट्टी की गुणवत्ता, पानी की होल्डिंग क्षमता आदि पर असर पड़ सकता है। चूंकि इस एक्सप्रेसवे का कुछ इलाका सुंदर पहाड़ से कनेक्ट है। यही वजह है कि इसे लेकर सवाल खडे़ हो रहे है। हालांकि कटे हुए पेड़ों की भरपाई करने के लिए सरकार साल के पेड़ों की नर्सरी देहरादून स्थित वन अनुसंधान संस्थान ने तैयार कर रही है। जिसे जल्द ही लगाना शुरू किया जाएगा।

दिल्ली देहरादून एक्सप्रेसवे से क्या वन्यजीवों पर पड़ेगा असर?

बता दें कि यह एक्सप्रेसवे राजाजी नेशनल पार्क से होकर गुजरता है। वहीं अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या दिल्ली देहरादून एक्सप्रेसवे के संचालन से वन्य जीवों पर असर पड़ेगा। हालांकि सरकार की तरफ से इसे लेकर 14 किलोमीटर लंबावाइल्ड लाइफ कॉरिडोर बनाया गया है। यानि ऊपर गाड़ियां फर्राटा भरेंगी, तो वहीं दूसरी तरफ नीचे वन्य जीव आसानी से एक तरफ से दूसरी तरफ आ जा सकेंगे।

गौरतलब है कि यदि पर्यावरण संरक्षण, पुनर्वनीकरण, निगरानी — इन सबको वाकई गंभीरता से नहीं लिया गया, तो आने वाले दशक लोगों और प्रकृति दोनों के लिए दायित्‍व भारी हो सकता है। हमलोग हर साल देखते ही प्राकृतिक आपदा आने से भारी नुकसान झेलना पड़ता है। जिसका एक वजह पर्यारवरण से छेड़छाड़ है। हालांकि यह एक्सप्रेसवे कई लिहाज से एक गेमचेंजर साबित हो सकता है।

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