Delhi Air Pollution: दिवाली के बाद से राजधानी में साफ हवा का मिलना मुश्किल हो गया है। दिल्ली-एनसीआर में सुबह के समय पर घर से बाहर निकलना जहरीली हवा में सांस लेने जैसा है। सीपीसीबी यानी केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक, दिल्ली की आबोहवा अभी भी गंभीर श्रेणी में बनी हुई है। दिल्ली का एक्यूआई यानी एयर क्वॉलिटी इंडेक्स 349 दर्ज किया गया है। सीएक्यूएम यानी वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने ग्रैप-3 यानी ग्रेडिड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान को बुधवार को रद्द कर दिया।
Delhi Air Pollution से सबसे ज्यादा प्रभावित इलाके
सीपीसीबी के मुताबिक, बीते 24 घंटे के दौरान दिल्ली का एक्यूआई 327 दर्ज किया गया। राजधानी की आबोहवा लगातार 14वें दिन भी गंभीर कैटेगरी में बनी रही। ऐसे में सड़कों पर सफेद धुएं की परत देखने को मिली, जिससे लोगों को सांस लेने में काफी तकलीफ का सामना करना पड़ा। दिल्ली का आनंद विहार इलाका सबसे प्रदूषित क्षेत्र रहा, यहां का एक्यूआई 390 रहा। साथ ही वजरीपुर 406 और बवाना 405 दर्ज किया गया। विवेक विहार में 400, नेहरु नगर में 395, जहांगीरपुरी में 394, नरेला में 388, अशोक विहार 380, पंजाबी बाग में 377 और मुंडका में 377 एक्यूआई रहा, जबकि दिल्ली का सबसे साफ इलाका मंदिर मार्ग रहा, जहां पर 243 एक्यूआई रिकॉर्ड हुआ।
दिल्ली एयर प्रदूषण के गंभीर स्तर के बाद भी ग्रैप-3 हटा
राजधानी की हवा गंभीर कैटेगरी में बनी हुई है, मगर फिर भी सीएक्यूएम ने ग्रैप-3 की पाबंदियों को हटाने का फैसला लिया। सीएक्यूएम ने दिल्ली-एनसीआर को नीचले ग्रैप में लाने पर जोर दिया। जबकि बीते कई दिनों से हवा का स्तर जानलेवा बना हुआ है। सीएक्यूएम ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि ग्रैप-1 और 2 के तहत सभी निर्देशों का सही से पालन किया जाए, ताकि दिल्ली एनसीआर का प्रदूषण एक बार फिर न बढ़ें।
प्रदूषण से बचने के लिए इन बातों का रखें ध्यान
वहीं, अगर आप दिल्ली-एनसीआर में रहते है और रोजाना घर से बाहर निकलते हैं, तो आपको कुछ बातों का खास ध्यान रखना है, जिससे आपकी सांसों पर बुरा प्रभाव न पड़े। बता दें कि अभी भी एक्यूआई का स्तर 400 के करीब बना हुआ है। इसमें पीएम-2.5 का बड़ी भूमिका है, पीएम-2.5 यानी बहुत छोटे कण, जिसमें धूल-मिट्टी के साथ प्लास्टिक और अन्य चीजें भी होती हैं। ऐसे में बाहर निकलने से पहले नाक और मुंह को ढकते हुए एन-95 मास्क का उपयोग करें। साथ ही कोशिश करें, पूरी बॉडी ढकी हुई हो, ताकि ठंडी हवा शरीर पर असर न डालें।
