Delhi Mumbai Expressway: देश में काफी तेजी के साथ सड़क कनेक्टिविटी में सुधार देखने को मिल रहा है। इस कड़ी में एक्सप्रेसवे काफी अहम योगदान दे रहे हैं। ऐसे में दिल्ली मुंबई एक्सप्रेसवे पर पहली बार 12 किलोमीटर लंबा एनिमल ओवरपास कॉरिडोर तैयार किया गया है। यह तो आप जानते ही होंगे अक्सर सड़क निर्माण से लाखों पेड़ों को नुकसान होता है। मगर दिल्ली मुंबई एक्सप्रेसवे पर एनएचएआई यानी नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने राजस्थान के सवाई माधोपुर के रणथंभौर के पास एक्सप्रेसवे पर पहला वाइल्डलाइफ ओवरपास कॉरिडोर बनाया है।
Delhi Mumbai Expressway से जंगली जानवरों को होगा फायदा
रिपोर्ट्स के मुताबिक, दिल्ली मुंबई एक्सप्रेसवे पर 12 किलोमीटर लंबे एनिमल ओवरपास कॉरिडोर से कई तरह के फायदे होने की उम्मीद है। एक्सप्रेसवे पर बनाए गए एनिमल ओवरपास कॉरिडोर को वन्यजीव क्रॉसिंग भी बताया जा रहा है। इस एनिमल ओवरपास कॉरिडोर की मदद से जंगली जानवर आसानी से सड़क को पार कर सकते हैं। इससे देश के अन्य एक्सप्रेसवे पर होने वाली जानवरों के साथ सड़क हादसे में कमी आएगी। एनएचएआई ने ओवरपास कॉरिडोर पर मिट्टी डालकर काफी पेड़ लगाए हैं। इससे जंगली जानवरों को लगभग जंगल जैसा पर्यावरण देखने को मिल सकता है। साथ ही जंगली जानवरों की वाहनों के साथ होने वाली टक्करों पर विराम लगेगा।
दिल्ली मुंबई एक्सप्रेसवे पर बनाए गए हैं 5 एनिमल ओवरपास
एनएचएआई के मुताबिक, Delhi Mumbai Expressway पर 5 एनिमल ओवरपास तकरीबन 12 किलोमीटर के मार्ग पर बनाए गए हैं। हर एनिमल ओवरपास की लंबाई लगभग 500 मीटर है। एनएचएआई के मुताबिक, एक्सप्रेसवे के इस हिस्से को विकसित करना सबसे कठिन काम था। दरअसल, 12 किलोमीटर लंबा यह कॉरिडोर बफर जोन के तहत आता है। बफर जोन में सबसे अधिक वस्पतियों और वन्य जीवों का आवास होता है। ऐसे में इसके निर्माण के दौरान और उसके बाद ट्रैफिक संचालन के बाद भी वन्यजीव संस्थानों से मदद ली गई। साथ ही वन मंत्रालय से भी सहयोग लिया गया है।
दिल्ली मुंबई एक्सप्रेसवे का इको फ्रेंडली डिजाइन
वहीं, एनएचएआई ने बताया है कि इस एक्सप्रेसवे को इको फ्रेंडली डिजाइन के साथ विकसित किया गया है। Delhi Mumbai Expressway को बनाने में वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और पर्यावरण मंत्रालय से मदद ली गई है। इस एक्सप्रेसवे पर हर 500 मीटर के बाद रेनवॉटर हारवेस्टिंग तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। इससे बारिश का पानी बर्बाद नहीं होगा। रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि मानसून के बाद एनिमल ओवरपास कॉरिडोर पर हरियाली बढ़ने से इसका जमीनी भाग पूरी तरह से कवर हो जाएगा।