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Kanpur Lucknow Expressway बनते ही इन शहरों में आ जाएगी रोजगार की बाढ़, इकोनामिक कारिडोर के साथ सीएम योगी आदित्यनाथ का ये बड़ा सपना होगा पूरा

Kanpur Lucknow Expressway: देशभर में तेजी से एक्सप्रेसवे का जाल बीछ रहा है। खासकर उत्तर प्रदेश में तेजी से निर्माण किया जा रहा है। -

Kanpur Lucknow Expressway
फाइल फोटो प्रतीकात्मक

Kanpur Lucknow Expressway: देशभर में तेजी से एक्सप्रेसवे का जाल बीछ रहा है। खासकर उत्तर प्रदेश में बड़ी संख्या में उत्तर प्रदेश का निर्माण किया जा रहा है। जिसमे गंगा एक्सप्रेसवे, कानपुर लखनऊ एक्सप्रेसवे, मेरठ प्रयागराज एक्सप्रेसवे समेत कई एक्सप्रेसवे शामिल है। वहीं अब कानपुर लखनऊ एक्सप्रेसवे को लेकर एक बड़ी खबर सामने आ रही है। दरअसल इस एक्सप्रेसवे के बनने से इन दोनों शहरों का सफर आधा हो जाएगा। साथ ही लोगों को जाम की समस्या से छुटकारा मिल जाएगा। एक घंटे से भी कम समय में सफर पूरा हो सकेगा। इस बीच इस एक्सप्रेसवे के बीच एक इकोनामिक कारिडोर का निर्माण किया जाएगा। जो कई मायने में एक गेमचेंजर साबित होने जा रहा है।

Kanpur Lucknow Expressway बनते ही इन शहरों में आ जाएगी रोजगार की बाढ़

कानपुर लखनऊ एक्सप्रेसवे का काम लगभग पूरा हो चुका है और जल्द ही चालू होने वाला है — जिससे लखनऊ और कानपुर के बीच यात्रा सिर्फ 35-45 मिनट में हो जाएगी।
सरकार इसे स्टार्टप कॉरिडोर के रूप में विकसित करने की योजना पर भी काम कर रही है, जिससे नौकरी, निवेश और इनोवेशन को प्रोत्साहन मिलेगा। एक्सप्रेसवे से गांव-कस्बों में लैंड वैल्यू और रियल-एस्टेट की मांग बढ़ेगी। छोटे उद्योगों, खाद्य प्रोसेसिंग, गोदाम और सर्विस स्टेशन जैसे काम में नौकरियाँ मिलेंगी। यानि हर क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर तो उत्पन्न होंगे ही साथ ही बड़ी संख्या में युवाओं को रोजगार भी मिलेगा।

ट्रैफिक जाम और दुर्घटनाओं में कमी आएगी – लखनऊ कानपुर एक्सप्रेसवे

कानपुर से लखनऊ का सफर जो अभी 2–3 घंटे लेता है, वह घटकर लगभग 1–1.5 घंटे में पूरा हो सकेगा। ट्रैफिक जाम और दुर्घटनाओं में कमी आएगी। एक्सप्रेसवे के किनारे उद्योग, वेयरहाउस, लॉजिस्टिक्स हब विकसित होंगे। छोटे व्यापारियों, किसानों और MSME सेक्टर को नए बाजार मिलेंगे। निर्माण के दौरान और बाद में हजारों नौकरियां पैदा होंगी। स्थानीय युवाओं को अपने ही क्षेत्र में काम के मौके मिलेंगे। कृषि उत्पादों को मंडियों और शहरों तक तेजी से और कम लागत में पहुंचाया जा सकेगा। खराब होने वाली फसलों (सब्ज़ी, फल, दूध) को बड़ा लाभ।

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