बुधवार को राज्य सरकार को कर्नाटक हाईकोर्ट ने बैल/बैलगाड़ी दौड़ आयोजित करने को लेकर उच्चतम न्यायालय द्वारा लगाई गई आवश्यक शर्तों का पालन करते हुए प्रतियोगता को अनुमति दी है। इस दौरान न्यायमूर्ति सचिन शंकर मगदुम और कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने कहा, आगे किसी आदेश की आवश्यकता नहीं है क्योंकि कर्नाटक राज्य में बैल/बैलगाड़ी दौड़ आयोजित करने की अनुमति देने के लिए वैधानिक प्रावधान पहले से मौजूद हैं। राज्य सरकार पूर्वोक्त शर्तों के अधीन वैधानिक प्रावधानों के अनुसार अनुमति प्रदान करेगा। बता दें कि उकतें बातें सचिन शंकर मगदुम और कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने कही।
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गौरतलब है कि मैसर्स पीपल फॉर एनिमल्स मैसूर एनिमल वेलफेयर ऑर्गनाइजेशन ने उचित रिट या आदेश जारी करने के लिए अदालत में याचिका दायर किया हुआ था। जिसमें मांड्या जिले में ऐसी प्रतियोगता पर मनाही थी जिसमें बैलगाड़ी दौड़ाने की योजना हो। बता दें कि आयोजन को पूर्ण रूप से आयोजित करने को लेकर अनुमति नहीं देने का निर्देश दिया गया था।
हालांकि राज्य सरकार की ओर से सफाई में अदालत को कहा गया था कि 2017 में पशु क्रूरता निवारण अधिनियम (कर्नाटक) में जरूरी संशोधन किए गए थे। इसके अलावा राज्य सरकार ने अदालत को बताया कि धारा 2 और 28 (ए) में संशोधन हो जाने के बाद कर्नाटक राज्य में बैलगाड़ी दौड़ की अनुमति है। बता दें कि राज्य सरकार ने बैलगाड़ी दौड़ की प्रतियोगता को लेकर इसे नकार दी जिसमें बैलगाड़ी दौड़ प्रतियोगता को अधिनियम के तहत अपराध बताया जाता रहा है।
राज्य सरकार ने तथ्य के साथ अदालत के समक्ष प्रमाण देते हुए कहा कि बैलगाड़ी दौड़ प्रतियोगता यह एक प्रथा और परंपरा है जो कर्नाटक राज्य के अस्तित्व में है।
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