MGNREGA News: संसद की शीतकालीन सत्र के दौरान कई अहम प्रस्तावित बिलों की चर्चा है। मनरेगा की जगह लेने वाला विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार और आजीविका मिशन ग्रामीण यानी वीबी-जी राम जी बिल उनमें से एक है। इसके कई सेक्शन हैं जिनमें कुछ का जिक्र कर तमिलनाडु और केरल से विरोध भरी आवाज उठ रही है।
डीएमके, कांग्रेस के साथ वाम दलों से जुड़े नेताओं का कहना है कि यदि बहुआयामी गरीबी सूचकांक को मापदंड के रूप में निर्धारित किया जाता है, तो इससे तमिलनाडु और केरल जैसे राज्यों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। चूकी तमिलनाडु और केरल बहुआयामी गरीबी सूचकांक यानी एमपीआई के मामले में अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। यही वजह है कि सवाल उठ रहे हैं कि क्या तमिलनाडु और केरल को वीबी-जी राम जी बिल प्रभावित करेगा? आइए इन सवालों का जवाब ढूंढ़ने की कोशिश करते हैं।
मनरेगा की जगह लेने वाले नए बिल का क्यों हो रहा विरोध
इसको लेकर अलग-अलग तर्क सामने आ रहे हैं। सबसे पहले बात प्रस्तावित विधेयक की धारा 4(5) की हो रही है। इसके मुताबिक केंद्र सरकार प्रत्येक वित्तीय वर्ष के लिए राज्यवार मानक आवंटन का निर्धारण केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित वस्तुनिष्ठ मापदंडों के आधार पर करेगी। इसको आधार बनाते हुए विरोध के स्वर मुखरता से उठ रहे हैं।
तर्क दिया जा रहा है कि यदि बहुआयामी गरीबी सूचकांक को मापदंड के रूप में निर्धारित किया जाता है, तो इससे तमिलनाडु और केरल जैसे राज्यों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। चूकी तमिलनाडु का बहुआयामी गरीबी सूचकांक यानी एमपीआई मात्र 2.20 फीसदी है। ऐसे में तर्क के मुताबिक यदि इसे मानक बनाया गया, तो इन राज्यों की हिस्सेदारी प्रभावित हो सकती है। यही वजह है कि इस तर्क को आधार मानकर विरोध किया जा रहा है।
चर्चित मनरेगा कानून का नाम बदलने पर भी उठी आवाज
समूचा विपक्ष इस मामले में अग्रणी भूमिका निभाता नजर आया। दरअसल, केन्द्र की ओर से ये स्पष्ट कर दिया गया है कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) कानून का नाम अब विकसित भारत-गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण), 2025 यानी VB- जी राम जी विधेयक होगा। इसको लेकर विपक्ष पहले भी सरकार पर निशाना साध चुका है। राहुल गांधी समेत विपक्ष के तमाम अन्य नेता नए बिल से महात्मा गांधी का नाम हटाने पर सरकार की मंशा पर सवाल खड़ा कर चुके हैं। यही वजह है कि मनरेगा कानून को लेकर फिलहाल खूब चर्चा हो रही है।
