LAC पर लगातार आंख दिखाकर जमीन हड़पने की कोशिश कर रहा चीन, भारत के तेवर और तैयारी देखकर कदम पीछे खींचने को मजबूर हो गया है । सूत्रों के मुताबिक चीनी सेना गलवान घाटी में हिंसा वाली जगह से करीब 2 किलोमीटर पीछे हट गई है। यह भारत के लिए बड़ी जीत है। दोनों देशों के बीच मई महीने से ही तनाव जारी है। जून के पहले हफ्ते में भारत और चीन के बीच बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ, जहां पर सैन्य लेवल पर बात हुई। लेकिन 15 जून को गलवान घाटी में चीन की धोखेबाजी के बाद दोनों देशों के जवानों के बीच झड़प हो गई। जिसमें भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे। झड़प में चीन के भी कई सैनिक मारे गए लेकिन चीन ने इसकी कोई भी आधिकारिक पुष्टि नहीं की। चीन के छल के बाद से ही भारत में चीन के खिलाफ भयंकर आक्रोश पनप गया।
सरकार ने भी चीन को मुंहतोड़ जवाब दिया । बॉर्डर पर भारत ने जवानों की तैनाती को दोगुना कर दिया। सबसे पहले मोदी सरकार ने चीन पर आर्थिक चोट मारते हुए 59 एप्स पर भारत में ताला लगा दिया। और चीन को साफ शब्दों में बता दिया कि भारत इस हरकत को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेगा।
3 जून को पीएम मोदी के अचानक लेह दौरे ने भी चीन में हलचल पैदा कर दी। पीएम मोदी ने लेह में जवानों से मुलाकात की और जमीनी हकीकत को जाना । साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के साथ झड़प में घायल जवानों से भी मिले। इस दौरान पीएम मोदी ने चीन को बेहद सख्त संदेश देते हुए कहा था कि- भारत शांतिप्रिय देश जरूर है, लेकिन कमजोर नहीं। उन्होंने कहा था कि अब विस्तारवाद का युग समाप्त हो गया है। यह विकास का युग है । इसके अलावा भारत ने पाकिस्तान पर स्ट्राइक करने वाली स्पेशल फोर्स को भी लद्दाक में तैनात कर दिया था। बालाकोट एयर स्ट्राइक में अहम भूमिका निभाने वाले मिग 29 विमान, अपाचे और चिनूक हेलिकॉप्टर भी बॉर्डर पर तैनात कर दिए गए। चीन पर नजर रखने के लिए मल्टी रोल कॉम्बैट, मिराज-2000, सुखोई-30 और जगुआर की भी तैनाती की गई । भारत के खिलाफ चीन की विस्तारवादी नीतियों की अमेरिका भी कड़े शब्दों में आलोचना कर रहा है। अमेरिका के स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पीएम मोदी के संवाद ने चीन को और ज्यादा बेचैन कर दिया था। तो दूसरी तरफ मोदी सरकार पहले ही साफ कर चुकी थी कि, गलवान घाटी भारत की है। हिंदुस्तान की 1 इंच जमीन पर भी कोई कब्जा नहीं कर सकता है। जिसके बाद भारत के तेवर और तैयारी को देखकर चीन के पास पीछे हटने के अलावा और कोई रास्ता नहीं था।