मुंबई: एक तरफ कोरोना की पहली लहर के कारण देश में लागू हुए लॉकडाउन से अभी उबरने की कवायद चल हीं रही थी कि कोरोना की दूसरी लहर ने दस्तक दे दिया. ऐसे में सबसे ज्यादा इसका असर छोटी कंपनियों पर पड़ा है। एनबीएफसी कंपनियों और रेटिंग एजेंसियों ने इसको लेकर बकायदा चेतावनी भी जारी कर दी है। अपनी चेतावनी में इनका कहना है कि अगर इस बार लॉरडाउन लंबा चला तो छोटी और मझोली कंपनियों के सामने क्रेडिट की समस्या खड़ी हो जाएगी। पिछली बार सरकारी मदद से ये कंपनियां बच गई थी, लेकिन इसबार संकट है।
NBFC की रिटेल लोन एसेट क्वालिटी पर असर:
वहीं कोरोना के बढ़ते संकट को देखते हुए इक्रा के वाइस प्रेसिडेंट और हेड अभिषेक दफारिया का कहना है कि, “कोविड संक्रमण के बढ़ने से रिटेल लोन की एसेट क्वालिटी पर कितना असर होगा अभी यह पक्के तौर पर तो नहीं कहा जा सकता लेकिन सतर्क रखने की जरूरत है. पिछले साल लोन कलेक्शन में गिरावट की वजह से कई एनबीएफसी कंपनियों को लोन एनपीए कैटेगरी की ओर बढ़ गए थे. इस बार स्थानीय लॉकडाउन से ऐसी स्थिति पैदा हो रही है”
छोटी कंपनियां तबाह हुईं तो बढ़ेगी बेरोजगारी:
सबसे ज्यादा खतरा अब बेरोजगारी को लेकर है. NBFC कंपनियों का कहना है कि, “अगर लोन एनपीए कैटेगरी में चले गए तो रिकवरी मुश्किल होगी. जो कंपनियां लोन ले रही हैं उनके लिए पैसा लौटाना मुश्किल होगा और वे मुश्किल में फंस सकती हैं. ऐसी छोटी कंपनियों का मुश्किल में फंसने से रोजगार के मोर्चे पर झटके लग सकते हैं क्योंकि देश में छोटी और मझोली कंपनियां सबसे ज्यादा रोजगार देती हैं”