Project Cheetah: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जन्मदिन के मौके पर नामीबिया से भारत आए चीतों को कूनो नेशनल पार्क में मुक्त किया है। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने खुद इन चीजों के साथ तस्वीर ली है और अपने संबोधन के दौरान उन्होंने कहा कि जब समय का चक्र हमें अतीत को सुधार कर नई भविष्य के निर्माण का मौका देता है। आज सौभाग्य से हमारे सामने एक ऐसा ही क्षण है। दशको पहले जैव विविधता की जो कड़ी टूट गई थी, आज उसे जोड़ने का मौका मिला है और भारत की धरती पर चीज़ें वापस लौट आए हैं।
पंचप्राण के महत्व को दोहराया
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जब हम अपनी जड़ों से दूर होते हैं तो बहुत कुछ खो बैठते हैं। इसलिए आजादी के इस अमृत काल में हमने अपनी विरासत पर गर्व और गुलामी की मानसिकता से मुक्ति जैसे पंचप्राण के महत्व को दोहराया है। सीएम मध्य प्रदेश द्वारा कू ऐप पर एक वीडियो पोस्ट किया गया है जिसके कैप्शन में लिखा है ऐतिहासिक पल! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राज्यपाल मंगूभाई पटेल एवं मुख्यमंत्री शिवराज की गरिमा की उपस्थिति में नामीबिया से लाए गए चीतों को कूनो नेशनल पार्क, श्योपुर में विमुक्त किया गया है।
शक्ति प्रदर्शन का प्रतीक
इस वीडियो में देखा जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और अन्य कार्यकर्ताओं के साथ राष्ट्रीय उद्यान में आ रहे हैं। इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी चीतों को विमुक्त करते हैं। बाद में खुद कैमरे से उनकी फोटो भी लेते हैं। इस वीडियो में देखा जा सकता है कि चीते एक साथ चलते हुए नजर आ रहे हैं। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमने पिछली सदी में वह समय भी देखा है जब प्रकृति के दोहन को शक्ति प्रदर्शन का प्रतीक मना लिया गया था। 1947 में जब देश में केवल आखिरी तीन चीतें बचे थे। उनका शिकार कर लिया गया। यह दुर्भाग्य है कि हम ने 1952 में चीतों को विलुप्त घोषित कर दिया। लेकिन उनके पुनर्वास के लिए कोई सार्थक प्रयास नहीं किया।
देशवासियों को रखना होगा धैर्य
मोदी ने कहा कि यह बात सही है कि जब प्रकृति और पर्यावरण का संरक्षण होता है तो हमारा भविष्य भी सुरक्षित होता है इसके अलावा विकास और समृद्धि के रास्ते भी खुलते हैं। कूनो नेशनल पार्क में जब चीता फिर से दौड़ेगा तो यहां का ग्रास लैंड इकोसिस्टम फिर से रिस्टोर होगा। जीतू के दीदार को लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कूनो नेशनल पार्क में छोड़े गए चीजों को देखने के लिए देशवासियों को कुछ महीनों का धैर्य रखना होगा। आज ये चीते मेहमान बनकर आए हैं और इस क्षेत्र से अनजान हैं। जब यहां की हवा, पानी और मिट्टी इनके लिए अनुकूल हो जाएगी तो इनको जंगल सौंपे जाएंगे।
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