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Gurmeet Ram Rahim को फिर मिली पैरोल, जानें ये फरलो से कैसे है अलग

Gurmeet Ram Rahim: डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम के 21 दिनों के पैरोल को मंजूरी मिली है। वो वर्ष 2023 में तीसरी बार जेल से बाहर आएगा।

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Gurmeet Ram Rahim
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Gurmeet Ram Rahim: डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम 8वीं बार पैरोल पर जेल से बाहर आने की तैयारी में है। खबर है कि हरियाणा सरकार ने उसके 21 दिनों के पैरोल को मंजूरी दे दी है। बता दें कि इससे पहले भी वर्ष 2023 में जनवरी और जुलाई में राम रहीम 2 बार जेल से बाहर आ चुका है। वहीं 2017 में सजा मिलने के बाद से वो अब तक कुल 7 बार जेल से बाहर आ चुका है। उसके पैरोल के मंजूरी के बाद ही मुख्य जेल चौक पर पुलिस फोर्स की तैनाती कर दी गई है। बता दें कि पैरोल पर जेल से छूटकर वो उत्तर प्रदेश के बागपत स्थित आश्रम में रहेगा। राम रहीम के पैरोल के मंजूरी के साथ ही फरलो की चर्चा भी जोरो पर हो रही है। ऐसे में आइये हम आपको बताते हैं कि पैरोल, फरलो से कैसे अलग होता है और इसके तहत कैदियों को किन शर्तों पर रिहा किया जाता है।

क्या होता है पैरोल?

देश के विभिन्न जेल में अपराध के लिए सजा काट रहे दोषियों के पैरोल पर छूटने की जानकारी सामने आती है। बता दें कि पैरोल कुछ तय नियम व शर्तों के साथ किसी भी कैदी या सजा पा चुके अपराधी को दिया जा सकता है। इसके लिए सजा के दौरान कैदी के अच्छे व्यवहार को ध्यान में रखना जरुरी है। वहीं अगर कैदी की मनोदशा बिगड़ जाती है या फिर उसके परिवार में किसी तरह की अनहोनी हो जाती है तो भी कैदी को पैरोल पर रिहा किया जाता है।

पैरोल पर रिहाई देने से पूर्व भी अपराधी के कृत्य को ध्यान में रखा जाता है। कई ऐसे मामलों में देखा जाता है कि मौत की सजा काट रहे दोषी, आतंकवादी या फिर अन्य गंभीर कृत्यों के दोषी को पैरोल मिलने की संभावना कम रहती है। इस स्थिति में ये स्पष्ट किया जाता है कि उपरोक्त मामलों में सजा काट रहा अपराधी समाज के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।

फरलो के नियम

देश में हर नागरिक के अपना अधिकार होता है और ठीक इसी प्रकार कैदी का भी अधिकार होता है। फरलो के तहत कैदियों को मिलने वाली रिहाई को उनके अधिकार के तहत ही माना जाता है। बता दें कि फरलो के लिए कैदी को कोई विशेष कारण बताना जरुरी नहीं है और ये उसके व्यक्तिगत, पारिवारिक या सामाजिक जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए दिया जाता है। खबरों की मानें तो जेल में सजा काट रहे कैदी को वर्ष में 3 बार फरलो दिए जाने का प्रावधान है। हालाकि फरलो राज्य का विषय है और ऐसे में इसको लेकर अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग कानून है।

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