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Punjab News: पीएसपीसीएल ने परफॉर्मेंस में सुधार करते हुए कम किया अपना घाटा, रैंकिंग को लेकर आई बड़ी खुशखबरी

Punjab News: पंजाब की राज्य बिजली कंपनी पीएसपीसीएल ने परफॉर्मेंस में सुधार करते हुए अपने घाटे को कम किया है। कंपनी की रैंकिंग को लेकर बड़ी खुशखबरी आई है।

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Punjab News: पीएसपीसीएल यानी पंजाब स्टेट पावर कॉरपोरेशन लिमिटिड सूबे में बिजली प्रबंधन का काम देखती है। ऐसे में पीएसपीसीएल बिजली कंपनी ने अपनी परफॉर्मेंस में सुधार करते हुए अपने घाटे को कम किया है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अब पीएसपीसीएल राज्य की बिजली कंपनियों में सातवें स्थान पर आ गई है। वहीं, देशभर की 52 बिजली कंपनियों में 12वें नंबर पर पहुंच गई है। यह पंजाब न्यूज पीएसपीसीएल के लिए बड़ी खुशखबरी है। इसके साथ ही पीएसपीसीएल को बीते साल ग्रेड ‘बी’ दी गई थी। मगर अब पीएसपीसीएल को ग्रेड ‘ए’ दी गई है।

Punjab News: पीएसपीसीएल की रैंकिंग में सुधार

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पीएसपीसीएल ने अपनी रैंकिंग में सुधार किया है। इसके पीछे की वजह है कि कंपनी का तकनीक और कमर्शियल घाटा यानी एटीएंडसी में कमी आई है। यह ऊर्जा और कमर्शियल घाटे का योग होता है। ऊर्जा और कमर्शियल घाटा 11.26 फीसदी से कम होकर 10.96 फीसदी पर आ गया है।

वहीं, पीएसपीसीएल के मुताबिक, ‘राज्य में बिलिंग एफिशियंसी में सुधार भी हुआ है। यह 88.74 फीसदी से बढ़कर 89.27 फीसदी हो गई है। साथ ही आपूर्ति की औसत लागत और राजस्व प्राप्ति अंतर में 0.25 पैसे प्रति यूनिट का सुधार हुआ है।’ उधर, हरियाणा (यूएचबीवीएन और डीएचबीवीएन), उड़ीसा (टीपीडब्ल्यूओडीएल, टीपीएनओडब्लूएल और टीपीसीओडब्लूएल), केरल (केएसईबीएल) और पंजाब (पीएसपीसीएल) शीर्ष पर रहे। इस तरह से हरियाणा की दोनों बिजली कंपनियों ने और गुजरात की चार कंपनियों ने 13वीं सालाना रैंकिंग रिपोर्ट में अपना ए प्लस ग्रेड कायम रखा है।

52 बिजली कंपनियों में से 11 को ‘ए’ प्लस ग्रेड

वहीं, देशभर की 52 बिजली कंपनियों में से 11 को ‘ए’ प्लस ग्रेड हासिल हुई है। इसमें 6 सरकारी और 5 निजी कंपनियां सम्मिलित हुई है। इस लिस्ट में एक निजी कंपनी समेत पांच कंपनियों को ‘ए’ ग्रेड मिला है, जिसमें पीएसपीसीएल भी शामिल है। एक्सपर्ट का कहना है कि रैंकिंग राज्य द्वारा बिजली विभाग के केंद्र द्वारा अधिक ग्रांट मांगने में सहायता करता है। एक्सपर्ट के मुताबिक, जितनी रैंकिंग कम होगी, बिजली कंपनियों द्वारा वित्तीय सहायता की अधिक मांग करने में उतनी ही परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

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