राजस्थान में सियासी उठा पटक के बीच सबकी निगाहें सचिन पायलट पर टिकी हुईं हैं। उन्होने हाथ का साथ तो छोड़ दिया है, अब सवाल ये है की पायलट अब किसका हाथ थामेंगे। फिलहाल पायलट की राजनीति जैसे किसी हिन्दी सस्पेंस फिल्म की तरह लग रही है। वैसे ही उनकी लव स्टोरी भी किसी सुपरहीट रोमांटिक हिन्दी फिल्म से कम नहीं है। सचिन पायलट ने सामाजिक और राजनीतिक दिवारों को तोड़ते हुए अपने प्यार को अंजाम तक पहुंचाया था। वो कहते हैं ना किसी को शिद्दत से चाहो तो पुरी कायनात उसे तुमसे मिलाने कि कोशिश में लग जाती है। कुछ ऐसी ही शिद्दत से सचिन पायलट और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला की बेटी सारा ने एक दुसरे को चाहा था।
लंदन से शुरू हुई प्रेम कहानी
दोने कि प्रेम कहानी की शुरुआत तब हुई जब सचिन MBA की पढ़ाई के लिए लंदन गए। वहां उनकी मुलाकात सारा अब्दुल्ला से हुई। कुछ दिनों की मुलाकात के बाद दोनों एक-दूसरे को पसंद करने लगे और बात सामान्य बातचीत से बढ़कर प्यार तक पहुंच गई। MBA करने के बाद सचिन भारत लौट आए। लेकिन सारा को पढ़ाई के लिए लंदन में रुकना पड़ा। हालांकि, भारत और लंदन की बीच की दूरी भी दोनों के प्यार को कम नहीं कर सकी। ई-मेल और फोन के माध्यम से दोनों रोजाना बातें करते रहे। दोनो ने एक इंटरव्यू में बताया था की- उनके प्यार में इंटरनेशनल कॉलिंग का बिल बहुत ज्यादा आया करता था। यह सिलसिला यूं ही चलता रहा। फिर आखिरकार वह समय भी आ गया जब सचिन और सारा को अपने घरवालों को अपने रिश्ते की बात बतानी थी। खैर सारा ने अपने रिश्ते के बारे में अपनी मां को पहले ही बता दिया था उनकी मां सचिन से लंदन में ही मिल चुकी थीं। और उन्हे पसंद भी कर चुकी थीं। उन्हे सचिन की मुस्कान बहुत पसंद आई थी। लेकिन सचिन हिंदू और सारा मुस्लिम, जायज है दो अलग-अलग धर्मों के इस मिलन में परेशानी होनी थी। लेकिन, इनके रिश्ते में मजहब से ज्यादा राजनीति की दीवार आड़े आ रही थी। क्योंकि सारा के पिता ने एक ईसाई महिला से और भाई अमर अब्दुल्लाह ने एक सिख महिला से शादी की थी। तो ज़ाहीर है सारा का परिवार धार्मिक भेदभाव को नहीं मानता था। बावजूद इसके दोनों के घरवालों ने इस रिश्ते को अपनाने से इंकार कर दिया। लेकिन अधिकांश फिल्मों की तरह यहां भी प्रेम कहानी का अंत खुशनुमा रहा। हालांकि, ये बात अलग है कि इसके लिए सचिन और सारा को बहुत मशक्कत करनी पड़ी।
ऐसे एक हुए सचिन और सारा
पहले तो उन्होने सोचा की हम अपने परिवारों को तब तक मनाएंगे जब तक वो मान न जाएं लेकिन अपने 3 साल बाद जब सहमति के सारे दरवाजे बंद नजर आए तो सचिन और सारा ने एक बड़ कदम उठाया। उन्होंने दुनिया की परवाह न करते हुए जनवरी, 2004 में शादी कर ली। इस शादी में अब्दुल्ला परिवार की तरफ से कोई शामिल नहीं हुआ। हालांकि, सचिन के परिवार ने सारा का पूरा साथ दिया। वक्त के साथ-साथ अब्दुल्ला परिवार के मिजाज में भी नरमी आई और उसने सचिन और सारा के रिश्ते को स्वीकार कर लिया। सचिन आज जहां राजनीति में अपनी अलग पहचान बना चुके हैं, वहीं सारा सामाजिक कार्यों में व्यस्त रहती हैं।