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‘हम बलि प्रथा के पक्ष में नहीं..,’ बकरीद से पहले कुर्बानी पर Dhirendra Shastri के बयान से सनसनी, AMU प्रोफेसर ने किया पलटवार

इस्लामिक त्योहार बकरीद से पूर्व कुर्बानी को लेकर पंडित Dhirendra Shastri द्वारा की गई बयानबाजी सुर्खियों में है। AMU के असिस्टेंट प्रोफेसर रिहान अख्तर ने धीरेन्द्र शास्त्री की टिप्पणी पर करारा पलटवार करते हुए जवाब दिया है।

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Dhirendra Shastri
Picture Credit: गूगल (सांकेतिक तस्वीर)

Dhirendra Shastri: त्योहारों का दौर शुरू होने के साथ बयान और फिर उस पर प्रतिक्रियाओं का दौर भी शुरू हो चुका है। ताजा मामला कथावाचक पंडित धीरेन्द्र शास्त्री से जुड़ा है। 7 जून को मनाए जाने वाले बकरीद से पहले बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने बलि प्रथा से अपनी असहमति जताई। Dhirendra Shastri ने बकरीद से ठीक पहले कहा कि जीव हत्या पूरी तरह से प्रतिबंधित होना चाहिए। इस टिप्पणी पर अब AMU में कार्यरत असिस्टेंट प्रोफेसर रिहान अख्तर का पलटवार सामने आया है। प्रोफेसर रिहान अख्तर ने कहा है कि “वे अभी कुर्बानी बंद करने की बात कह रहे हैं। आगे चलकर वे नमाज, रोजा और जकात को लेकर भी यही कहेंगे।” फिलहाल धीरेन्द्र शास्त्री का बयान सुर्खियां बटोर रहा है और इसकी खूब चर्चा है।

बकरीद से पहले कुर्बानी पर Dhirendra Shastri के बयान से सनसनी!

बगैर किसी लाग-लपेट के पंडित धीरेन्द्र शास्त्री ने अपना पक्ष रखा है। बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर ने साफ तौर पर कहा था कि “जीव हत्या को किसी भी धर्म में उचित नहीं माना जा सकता है। हम बलि प्रथा के पक्ष में नहीं हैं। ऐसे में हम बकरीद पर दी जाने वाली कुर्बानी के पक्ष में भी नहीं है।” Dhirendra Shastri ने बड़ी बात कहते हुए स्पष्ट किया कि “यदि हम किसी को जीवन नहीं दे सकते, तो उसे मारने का अधिकार भी हमारे पास नहीं है। इसके और भी विकल्प है, उस वक्त कोई ऐसी व्यवस्था स्थिति रही होगी तो बकरे की कुर्बानी दी गई होगी।” पंडित धीरेन्द्र शास्त्री के इसी बयान पर सनसनी मची है और सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्म पर प्रतिक्रियाओं का दौर जारी है।

पंडित धीरेन्द्र शास्त्री के बयान पर AMU प्रोफेसर का पलटवार

अपने हिस्से का पक्ष रखते हुए AMU प्रोफेसर रिहान अख्तर ने बाबा Dhirendra Shastri को जवाब दिया है। रिहान अख्तर का कहना है कि “वे (धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री) अभी कुर्बानी बैन करने की बात कह रहे हैं, यानी वे बकरीद मनाने से मना कर रहे। आगे चलकर वे नमाज, रोजा और जकात को लेकर भी यही कहेंगे। ये बिल्कुल ठीक नहीं है। हज के मौके पर हजारों बकरों की कुर्बानी दी जाती है। कुर्बानी नहीं करें, तो हज भी नहीं होगा।” AMU प्रोफेसर आगे कहते हैं कि “गाइडलाइन के अनुसार, जो प्रतिबंधित पशु है उनकी कुर्बानी नहीं करनी चाहिए। उनसे लोगों की भावना जुड़ी होती है, उसकी कुर्बानी कत्तई नहीं करनी चाहिए।” पंडित धीरेन्द्र शास्त्री की टिप्पणी पर एएमयू प्रोफेसर की ये प्रतिक्रिया सुर्खियां बटोर रही है।

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