Solar Energy: दिल्ली का इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट लगातार नई उपलब्धियां हासिल करता आ रहा हैं। हाल ही में हवाई अड्डा पूरी तरह से हाइड्रो और सौर ऊर्जा से संचालित होने वाला पहला हवाई अड्डा बन गया है। वाहनों की तेजी से बढ़ती संख्या, बढ़ते प्रदूषण और बिजली की खपत जैसे कारणों के चलते ग्रीन हाउस गैसों का असर पृथ्वी के लिए नया खतरा बन रहा है। अब बीते बुधवार को दिल्ली अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा लिमिटेड ने हवाई अड्डे की नई उपलब्धि के बारे में बताया है।
‘हरित परिवहन’ कार्यक्रम अपनाया
दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (डायल) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विधायक कुमार जयपुरिया का कहना है कि सौर कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करने के लिए एक ‘हरित परिवहन’ कार्यक्रम अपनाया गया है। अब हरित ऊर्जा कार्यक्रम का एक और मील का पत्थर हासिल किया है उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी इंटरनेशनल हवाई अड्डा लंबे समय से सौर ऊर्जा का प्रयोग कर रहा है और अब जलविद्युत का भी इस्तेमाल करना शुरू कर दिया गया। यह उनके प्रयासों में एक बड़ी उपलब्धि हैं।
62 इलेक्ट्रॉनिक वाहन जोड़ने की प्रक्रिया
बता दें कि आईजीआई पर 2019 में टैक्सीबाट्स का इस्तेमाल हो रहा है यह वाहन विमानों को इंजन चालू के बिना एक से दूसरी जगह ले जाने में कामयाब होता है। इससे कार्बन उत्सर्जन कम होता हैं। इसी तरह डायल 62 इलेक्ट्रॉनिक वाहनों को अपने साथ जोड़ेगा। हवाई अड्डे ने पिछले साल नवंबर में 2030 तक जीरो कार्बन उत्सर्जन हवाई अड्डा बनने का लक्ष्य निर्धारित किया था। उन्होंने कहा कि हवाई अड्डे का लक्ष्य 2050 तक जीरो कार्बन उत्सर्जन के वैश्विक लक्ष्य से बहुत बड़ा है।
2030 तक उपलब्धि हासिल करने का लक्ष्य
डायल अधिकारियों का कहना है कि यह उपलब्धि 2030 तक पूरी तरह से हासिल करने का लक्ष्य बना हुआ हैं। हवाई अड्डे पर 1 जून से कुल आवश्यकता बिजली का करीब 6% हिस्सा वहां विस्थापित सौर ऊर्जा संयंत्रों से मिला। इसके अलावा 94% बिजली जल विद्युत संयंत्र से मिल रही हैं। जल विद्युत और सौर ऊर्जा के इस संयोजन सेवा हवाई अड्डे को प्रति वर्ष 2 लाख टन कार्बन डाइऑक्साइड ऊर्जा उत्सर्जन को कम करने में मदद मिलेगी।
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