कोविड-19 की शुरूआत में तब्लीगी जमातियों को लेकर काफी विवाद हुआ था। जमातियों को कोरोना फैलाने का जिम्मेदार ठहराया गया था। मीडिया में भी कई तरह की बातें सामने आयी थीं। महाराष्ट्र कोर्ट के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले सुनवाई करते हुए बड़ी टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, हाल के दिनों में बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का सबसे अधिक दुरुपयोग हुआ है। सुप्रीम कोर्ट की ये टिप्पणी तब्लीगी जमातियों के खिलाफ चलाई गई खबरों की याचिका पर आयी है। जिसमें मीडिया पर कई सारे गंभीर आरोप लगाये हैं। ये सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के जज चीफ जस्टिस एस.ए बोबडे, जस्टिस ए. एस बोपन्ना और जस्टिस जस्टिस वी रामासुब्रमण्यन की पीठ ने की और तल्ख टिप्पणी करते हुए केन्द्र सरकार की फटकार लगाई। जिसमें अदालत ने कहा कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव नया हलफनामा दायर करें और गलत तरीके से हो रही रिपोर्टिग का ब्यौरा दें। इस मामले की सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी।
इसके साथ ही जजों की पीठ इस बात से नाराज हो गई कि, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव ने हलफनामा दाखिल किया जिसमें तबलीगी जमात मामले में मीडिया रिपोर्टिंग के संबंध में ‘गैरजरूरी’ और ‘अतर्कसंगत’ बातें लिखी हैं। जजों ने इन्ही मुद्दों को उठाते हुए केन्द्र सरकार को घेरा। पीठ ने कहा,‘आप इस न्यायालय के साथ ऐसा सुलूक नहीं कर सकते जिस तरह से आप इस मामले में कर रहे हैं।’आपको बता दें, ये याचिका जमीयत उलमा-ए-हिंद के साथ साथ कई लोगों ने लगाई थी। जिसमें मीडिया की रिपोर्टिंग पर सवाल उठाये गये थे। सुप्रीम कोर्ट ने आज इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए केन्द्र सरकार की डांट लगाई।