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क्या योगी सरकार खोलेगी Sambhal Riots की फाइल? दशकों बाद सुर्खियां बटोर रहे दावे की असली सच्चाई क्या? यहां जाने Fact Check

संभल पुलिस अधीक्षक कृष्ण बिश्नोई ने 1978 में हुए Sambhal Riots की जांच से जुड़े दावों को भ्रामक बताया है। संभल पुलिस की ओर से स्पष्ट किया गया है कि संभल रायट्स से जुड़े सभी दावे भ्रामक है और लोग इसे साझा करने से बचें, ताकि शांति व्यवस्था कायम रहे।

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Sambhal Riots
Picture Credit: गूगल (सांकेतिक)

Sambhal Riots: सोशल मीडिया से लेकर मेन स्ट्रीम मीडिया और सियासी गलियारों में तक में संभल रायट्स की चर्चा है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या योगी सरकार 1978 में हुए संभल रायट्स की फाइल खोलेगी? क्या Sambhal Riots की जांच अब दशकों बाद 2025 में होगी? संभल में दशकों पहले हुए सांप्रदायिक दंगों पर योगी सरकार का पक्ष क्या है? इस तरह के तमाम सवाल तेजी से चर्चाओं में है। ऐसे में आइए हम आपको फैक्ट चेक के माध्यम से संभल दंगों से जुड़े वायरल दांवों की सच्चा बताते हैं। साथ ही ये भी बताते हैं कि दशकों पहले संभल में हुए सांप्रदायिक दंगे की चर्चा सोशल मीडिया पर इतनी तेजी से क्यों हो रही है।

क्या योगी सरकार खोलेगी Sambhal Riots की फाइल?

समाचार एजेंसी एएनआई के एक्स हैंडल से संभल पुलिस के हवाले से एक वीडियो पोस्ट जारी किया गया है। इस पोस्ट में संभल पुलिस अधीक्षक कृष्ण बिश्नोई उन वायरल दांवों पर अपना पक्ष रख रहे हैं जिसमें संभल रायट्स की फाइल खोलने की बात कही जा रही है।

पुलिस अधीक्षक कृष्ण बिश्नोई का कहना है कि “एक भ्रामक सूचना सोशल मीडिया और कई अन्य जगहों पर फैलाई जा रही है, कि 1978 में संभल में जो सांप्रदायिक दंगे हुए थे उसकी दोबारा जांच कराई जा रही है। ऐसा कोई वाकया नही है। एमएलसी श्रीशचंद्र शर्मा द्वारा 17 तारीख को एक पत्र दिया गया था। उसके माध्यम से शासन द्वारा एक आख्या मांगी गई है जिसमें 1978 में संभल में हुए सांप्रदायिक दंगों के संबंध में सूचना प्रदान करने का जिक्र है।” ऐसे में संभल पुलिस ने स्पष्ट कर दिया है कि Sambhal Riots की जांच से जुड़े दावे भ्रामक हैं और योगी सरकार की ओर से ऐसे कोई निर्देश नहीं दिए गए हैं।

संभल रायट्स को लेकर सोशल मीडिया पर छिड़ी चर्चा!

योगी सरकार के एक भ्रामक निर्देश का हवाला देकर 1978 में हुए Sambhal Riots की जांच करने का दावा किया गया। सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने दावा किया कि योगी सरकार संभल रायट्स की जांच कराएगी। हालांकि, संभल पुलिस ने ऐसे दांवे को भ्रामक बताते हुए अपना पक्ष रखा है। बता दें कि वर्ष 1978 में संभल में भयंकर सांप्रदायिक हिंसा हुई थी जिसकी चपेट में आने से सैकड़ों की संख्या में लोग मारे गए थे। इसके अलावा कईयों को विस्थापित होना पड़ा था। संभल में 24 नवंबर को हुई हिंसा के बाद से ही पुराने दंगों का जिक्र हुआ और इस पर चर्चा छिड़ी है।

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