Guru Govind Singh Jayanti 2025: सिखों के 10वें गुरू गोविंद सिंह जी की आज जयंती है। बता दें कि आज प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है।। गुरु गोबिंद सिंह जी केवल सिख समुदाय ही नहीं, बल्कि संपूर्ण मानवता के लिए प्रेरणा स्रोत रहे हैं। उनके आगे मुगल कांपते थे। धर्म के लिए उन्होंने अपनी जान दे दी। मालूम हो कि उनका जन्म 1666 पटना में हुआ। वह नौवे गुरू श्री तेग बहादुर और माता गौरी के इकलौते पुत्र थे। बचपन में उनका नाम गुरू गोविंद राय था। गुरू गोविंद सिंह की जयंती पर पीएम मोदी समेत देश के कई बड़े नेताओं ने उन्हें शत-शत नमन किया।
वे साहस, करुणा और त्याग के साक्षात प्रतीक – नरेंद्र मोदी
पीएम मोदी ने गुरू गोबिंद सिंह जयंती 2025 के अवसर पर उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा कि “श्री गुरु गोविंद सिंह जी के पवित्र प्रकाश उत्सव के अवसर पर, हम उन्हें श्रद्धापूर्वक नमन करते हैं। वे साहस, करुणा और त्याग के साक्षात प्रतीक हैं। उनका जीवन और शिक्षाएँ हमें सत्य, न्याय, धर्मपरायणता के लिए खड़े होने और मानवीय गरिमा की रक्षा करने के लिए प्रेरित करती हैं।
श्री गुरु गोविंद सिंह जी का दृष्टिकोण पीढ़ियों को सेवा और निस्वार्थ कर्तव्य की ओर मार्गदर्शन करता रहता है। यहाँ इस वर्ष की शुरुआत में पटना साहिब स्थित तख्त श्री हरिमंदिर जी की मेरी यात्रा की तस्वीरें हैं, जहाँ मैंने श्री गुरु गोविंद सिंह जी और माता साहिब कौर जी के पवित्र जोरे साहिब के दर्शन भी किए”।
गुरू गोबिंद सिंह जी के आगे मुगलों ने भी टेके थे घुटने
उन्होंने खालसा पंथ की स्थापना कर अन्याय के खिलाफ संगठित और नैतिक शक्ति खड़ी की। मुग़ल सम्राट औरंगज़ेब को लिखा गया उनका प्रसिद्ध पत्र “ज़फ़रनामा” सच्चाई और धर्म की जीत का प्रतीक माना जाता है—जहाँ गुरु जी ने नैतिक साहस से अन्याय को ललकारा। सीमित संसाधनों के बावजूद गुरु जी और उनके अनुयायियों ने दृढ़ संकल्प से अत्याचार का सामना किया, जिससे मुग़ल शक्ति को पीछे हटना पड़ा। इसके अलावा वह सिखों के 10वें गुरू भी थे। गुरू गोबिंद सिंह जी की विरासत सिर्फ युद्ध या राजनीति तक सीमित नहीं—वह न्याय, समानता और आत्मसम्मान का संदेश है, जो आज भी प्रेरणा देता है।
