छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार दुर्ग में बने चंदूलाल चंद्राकर मेमोरियल मेडिकल कॉलेज को takeover करने की तैयारी में है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार इसके लिए अलग से कानून लाने की योजना बना रही है। मेडिकल कालेज के अधिग्रहण के राज्य सरकार के फैसले को लेकर भाजपा ने राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की घेराबंदी शुरू कर दी है। दो केंद्रीय मंत्रियों पियूष गोयल व ज्योतिरादित्य सिंधिया और पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री राजवर्धन सिंह राठौर ने ट्वीट करके सीएम भूपेश बघेल पर जनहित की आड़ में परिवार को लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया है।
खास बात है कि यह मेडिकल कॉलेज जिस परिवार का है, उस परिवार में बघेल की बेटी की शादी हुई है। चंदूलाल चंद्राकर पुराने कांग्रेसी नेता थे और दुर्ग से पांच बार सांसद रहे थे। 1995 में उनकी मृत्यु के बाद दो साल बाद इस मेडिकल कॉलेज की शुरुआत हुई थी। 2017 में मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने कॉलेज की मान्यता रद्द कर दी थी। प्रदेश सरकार अब एक कानून के जरिए इसका takeover करने की तैयारी कर रही है। भूपेश बघेल ने विपक्ष के आरोपों को काल्पनिक करार देते हुए चुनौती दी है कि अगर जनहित का सवाल होगा तो सरकार निजी मेडिकल कालेज भी खरीदेगी और नगरनार का प्लांट भी।
संसदीय कार्य मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा है कि प्रदेश की पूरी जनता, छात्रों के हित और प्रदेश में तेजी से चिकित्सा शिक्षा के विस्तार के उद्देश्य से अधिग्रहण का फैसला लिया गया है। उन्होंने कहा कि आमतौर पर किसी चिकित्सा कालेज के infrastucture को तैयार करने में ही करीब 500 करोड़ रुपये और काफी समय लग जाता है। 150 सीट वाले चंदूलाल चंद्राकर स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय के अधिग्रहण से केवल आधी लागत में ही एक और शासकीय मेडिकल कालेज का लाभ प्रदेश की जनता को तत्काल मिल सकेगा।
इसे लेकर नेताओं के बीच ट्विटर वॉर शुरु हो गई है
केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इसको लेकर सीएम बघेल पर निशाना साधा है। सिंधिया ने ट्वीट कर कहा है कि बघेल अपने दामाद का निजी महाविद्यालय बचाने के लिए उसे सरकारी कोष से खरीदने की कोशिश में हैं। प्रदेश की राशि का उपयोग अपने दामाद के लिए,वो भी एक ऐसा मेडिकल कॉलेज जिस पर धोखाधड़ी के आरोप मडिकल काउंसिल ऑफ़ इंडिया द्वारा लगाए गए थे। कौन बिकाऊ है और कौन टिकाऊ,इसकी परिभाषा अब साफ है।
दरअसल सिंधिया को जब नरेंद्र मोदी कैबिनेट में नागरिक उड्डयन मंत्रालय का प्रभार दिया गया था, तब बघेल ने ट्वीट कर उन पर तंज कसा था। बघेल ने एयर इंडिया को बेचने की सरकार की योजना का हवाला देते हुए सिंधिया को बिकाऊ कहा था। अब सिंधिया ने अपने ट्वीट के जरिए उन पर पलटवार किया है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया के ट्वीट के बाद अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उन्हें जवाब दिया है। बघेल ने सिंधिया को चुनौती देते हुए कटाक्ष किया है कि वे केंद्र की बीजेपी सरकार की तरह जनता की संपत्ति को बेच नहीं रहे हैं।
केंद्रीय उद्योग मंत्री एवं राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल ने राज्य की कांग्रेस सरकार पर हमला बोला। उन्होंने ट्वीट किया, ‘भ्रष्टाचार का इतिहास अपार, डूबे रहते कांग्रेसी परिवार: कर्ज में डूबे कॉलेज का अधिग्रहण कर जनता के पैसे का दुरुपयोग करना सरासर धोखा है। छत्तीसगढ़ की जनता की गाढ़ी कमाई भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ाने के लिए नहीं बल्कि विकास के लिए है।
भाजपा नेताओं के रिश्तेदार का कॉलेज खरीदे जाने के आरोप का जवाब देते हुए लिखा ‘जहां तक रिश्तेदारी और निहित स्वार्थ का सवाल है तो मैं अपने प्रदेश की जनता को यह बताना चाहता हूं कि भूपेश बघेल उसके प्रति उत्तरदायी है और उसने हमेशा पारदर्शिता के साथ राजनीति की है। सौदा होगा तो सबकुछ साफ हो जोगा।
डाक्टर चंदूलाल चंद्राकर के पौत्र अमित चंद्राकर के अनुसार अस्पताल के डायरेक्टर डाक्टर एम. पी. चंद्राकर हैं। हमारे परिवार से उनका कोई संबंध नहीं है। डाक्टर एमपी चंद्राकर के छोटे भाई विजय चंद्राकर के पुत्र के साथ भूपेश बघेल की पुत्री का विवाह हुआ है। यह भी सच्चाई है कि विजय चंद्राकर का मेडिकल कालेज से कोई संबंध नहीं है।
• यह मेडिकल कॉलेज 2013 में शुरू हुआ था।
• भिलाई के चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज की मान्यता 2018 में ही रद्द हो चुकी है।
• इसकी वजह से इसमें 2017 बैच में दाखिला लिए हुए विद्यार्थियों के सामने संकट खड़ा हो गया है।
• 30 Dec 2019…चंदूलाल अस्पताल-मेडिकल कॉलेज सीज।
• Feb 2, 2021 को CM भूपेश बघेल चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज के takeover की बड़ी घोषणा की।
• 13 जुलाई 2021 को मुख्यमंत्री और राज्यपाल के बीच इस पर चर्चा हुई है।
• 20 जुलाई 2021 को हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में इस चिकित्सा महाविद्यालय के अधिग्रहण विधेयक के प्रारूप का अप्रूवल किया गया है।
अधिग्रहण के पीछे की कहानी
4 साल पहले एमसीआई से affiliation के पहले ही कॉलेज प्रबंधन ने मैनेजमेंट कोटा सीट पर 83 छात्रों को दाखिला दे दिया था। तब मैनेजमेंट कोटा के नाम से 40-45 लाख तक छात्रों से लिए गए थे। मगर, कॉलेज जीरो ईयर हो गया। मामला हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और अंत में दाखिले रद्द कर दिए। छात्रों की फीस लौटाते-लौटाते कॉलेज की आर्थिक स्थिति खराब होती चली गई। 2017 के बाद से कॉलेज को दाखिले की अनुमति नहीं मिली, जिसके बाद से कॉलेज घाटा में चला गया। यूनिवर्सिटी में साल 2017 में NEET के ज़रिए entrance exam लिया गया। पास होने वाले छोत्रों ने एडमिशन लिया था। यह एडमिशन निर्धारित स्टेट और केन्द्र के कोटे के तहत लिया गया था। शुरुआत में सबकुछ ठीक रहा, पर साल 2018 में यूनिवर्सिटी की मेडिकल कौंसिल ऑफ इंडिया ने मान्यता रद्द कर दी। अब तक महाविद्यालय को मान्यता नहीं दी गई है। उसके बाद से महाविद्यालय में basic सुविधाओं में कमी आने लगी और कक्षाएं भी निरंतर नहीं लग रही थी।
शासकीयकरण के लिए प्रबंधन सामने आया
बीते कुछ साल से चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज बहुत से आर्थिक विवादों से घिरा रहा। कॉलेज के संचालन में दिक्कत के चलते प्रबंधन ने खुद सरकार से आग्रह किया है कि प्रदेश में मेडिकल एजुकेशन की बेहतरी को देखते हुए सरकार इस कॉलेज का अधिग्रहण कर लें। करीब दो साल में भी कॉलेज के नहीं बिकने के बाद प्रबंधन ने राज्य सरकार ने शासकीयकरण की मंशा जाहिर की।