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इस मुगल शासक के नाम का मतलब है ‘भाग्य’ लेकिन रहे बदकिस्मत, जिंदगी थी चुनौतियों से भरपूर

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Humayun
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Humayun: मुगल साम्राज्य में एक ऐसा शासक था जिसके नाम का मतलब तो ‘भाग्य’ होता है लेकिन वह सबसे बदकिस्मत रहे। किस्मत के मामले में इन्हें कई बार मुंह की खानी पड़ी थी। जी हां, हम बात कर रहे हैं बाबर के सबसे बड़े बेटे हुमायूं की जो शासक तो रहे लेकिन उनकी जिंदगी में कई घटनाएं ऐसी हुई जो उन्हें बदकिस्मत साबित करती है। कई बार उन्हें मुगल सिंहासन के लिए जंग भी लड़नी पड़ी और उनकी उनकी जीत भी क्षणिक होती थी। हुमायूं का मतलब तो भाग्य होता है लेकिन किस्मत के मामले में वह काफी अनलकी रहे थे।

हुमायूं को मिली कई जीतें

हुमायूं को न सिर्फ दुश्मनों से बल्कि अपने घर में भी चुनौतियों का सामना करना पड़ा था। बाबर के सबसे बड़े बड़े बेटे हुमायूं अपने राज्यरोहण के 6 महीने बाद बुंदेलखंड में कालिंजर किले को घेर लिया। अफ़गानों पर निर्णायक जीत हासिल की, सुल्तान महमूद लोदी को जौनपुर से खदेड़ दिया और गुजरात के बहादुर शाह को हराया। हालांकि उनकी ये जीतें क्षणिक थी।

कर दी थी साम्राज्य बांटने की गलती

हुमायूं ने साम्राज्य को अपने भाइयों के बीच बांट दिया दरअसल उनके तीन भाई थे कामरान, अस्करी और हैंडाल लेकिन हुमायूं की राज्य को बांटने की गलती बड़ी साबित हुई जिसकी वजह से उन्हें मुंह की खानी पड़ी। 1555 में हुमायूं ने अफ़गानों को हराया और मुगल सिंहासन पूर्ण प्राप्त किया।

इस तरह हुई मौत

राज्य वापस मिलने के 6 महीने बाद ही 1556 में अपने पुस्तकालय की सीढ़ी से गिरने के बाद उनकी दुखद मौत हो गई थी। उनकी मौत ना किसी बीमारी से हुई ना किसी युद्ध में हुई बल्कि एक दुर्घटना में उन्होंने जान गंवा दी थी।

जिंदगी में आई कई चुनौतियां

यह सच है कि हुमायूं को अपनी जिंदगी में चुनौतियों का सामना करना पड़ा था। राज्य से लेकर दुश्मन तक और उनके परिवार में भी उन्हें चुनौतियां मिली थी और अंत में उन्होंने अपनी जिंदगी की जंग कुछ इस तरह हार गए जिसकी शायद किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी।

जान बचाने के लिए भाग रहे थे हुमायूं

1539 में जब शेरशाह सूरी ने चौसा की लड़ाई में मुगल बादशाह हुमायूं को हरा दिया था। इस दौरान ऐसा लगा था जैसे मुगलों को संभालने का मौका भी नहीं मिलेगा और उन्हें जड़ सहित उखाड़ कर फेंक दिया जाएगा और इस समय हुमायूं अपनी जान बचाने के लिए भागा भागा फिर रहे थे।

जबरदस्ती किया था निकाह

वहीं हुमायूं की एक अनसुनी कहानी भी है जिसमें वह 34 साल की उम्र में 14 साल की खूबसूरत हमीदा के साथ प्यार में पड़ गए थे। हमीदा उनके छोटे भाई हैंदाल के हरम में रहती थी और ऐसे में उन्होंने अपने सौतेली मां दिलदार बेगम से हमीदा को लेकर बातचीत की। लेकिन हुमायूं की नाकामयाबी की वजह से दिलदार ने मना कर दिया लेकिन हमीदा के इनकार करने के बावजूद उन्होंने जबरदस्ती निकाह कर लिया।

अफगानी थे जान के दुश्मन

अफ़गानों की वजह से भी हुमायूं को काफी मुश्किलों काफी सामना करना पड़ा था। मुगल साम्राज्य के इस शासशासक को अफगानी जान से मार देना चाहते थे।

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