Health Tips: आज कल के समय में हार्ट की बीमारी का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। युवाओं में भी ये समस्या देखने को मिल रही है। मगर अब हार्ट की बीमारी से बच्चे भी पीड़ित हो रहे हैं। जी हां, अब अधिकतर बच्चों में भी हार्ट की समस्या दिखती है। ये बच्चों के लिए जानलेवा साबित भी हो सकता है। मगर इसका इलाज संभव है। हालांकि इसका इलाज उम्र भर करवाना पड़ता है। इसके लिए हमें सबसे पहले लक्षण पहचानने की जरूरत होती है। कई बार हम लक्षण नहीं पहचान पाते हैं और इलाज में देरी हो जाती है। इसलिए जरूरी है कि, हम इस भयंकर बीमारी के लक्षणों को पहचानें।
इन दो वजहों से हो सकती है हार्ट की बीमारी
जन्मजात बच्चों में हार्ट की बीमारी
आज कल के समय में जन्मजात शिशु में हार्ट की बीमारी देखने को मिलती है। बता दें, प्रेग्नेंसी के 6 सप्ताह में शिशु का हार्ट शेप में आने लग जाता है। शिशु की हार्ट बीट भी शुरू हो जाती है। इस दौरान हार्ट तक पहुंचने वाली ब्लड सेल्स का भी विकास होता है। इस वक्त मां को अत्यधिक खान-पान का ध्यान रखना पड़ता है। इस स्थिति में जब महिलाएं अधिक धूम्रपान करती हैं तो इसका गहरा असर बच्चे पर पड़ता है। इससे उसे जन्म से ही हार्ट की बीमारी हो जाती है।
जन्म के बाद आने वाली हार्ट डिजीज
बच्चों में जन्म के बाद पीडियाट्रिक्स एक्वायर्ड हार्ट डिजीज की समस्या उत्पन्न हो जाती है। इसमें बच्चों में रूमैटिक हार्ट डिजीज, कावासाकी डिजीज, हार्ट बीट का असामान्य होना और मांशपेशियों में सूजन आने जैसी स्थिति बन जाती है।
बच्चों में हार्ट डिजीज के क्या हैं लक्षण
बच्चों में हार्ट की बीमारी होना बहुत बड़ी समस्या है। ये जानलेवा भी हो सकता है। अगर इसका इलाज समय पर न करवाया जाए। इसके लिए बच्चों में समय पर लक्षण पहचानना बहुत जरूरी है। लक्षण पहचानते ही सबसे पहले डॉक्टर से संपर्क करें। तो आइए जानते हैं बच्चों में हार्ट डिजीज के क्या हैं लक्षण।
- अगर बच्चों में सांस फूलने की समस्या दिखे तो जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें। इसके अलावा किसी काम को करते वक्त जल्दी थक जाना और कमजोरी महसूस करना भी हार्ट की बीमारी का लक्षण है।
- कुछ लक्षण ऐसे होते हैं जिसका असर चेहरे के रंगों पर होता है। इसमें बच्चों के चेहरे पर पर्पल और ग्रे-ब्लू रंग के निशान होने लग जाते हैं। इसके अलावा नाखून, म्यूकस मेंब्रेन का रंग बदलने लग जाता है।
- बच्चों का बेहोश होना, हार्ट बीट का तेज और कम हो जाना। ये दिल की बीमारी का एक बड़ा लक्षण है।
- अगर कभी भी बच्चे के छाती में दर्द हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। इसे भूल से भी हल्के में न लें।
- अगर बच्चे को सांस लेने में तकलीफ हो रही है। तब इस स्थिति में डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
इससे बचाव के उपाय
- प्रेग्नेंसी के वक्त मां को अपने खान-पान का विशेष ध्यान देना चाहिए। इस समय एक बेहतर डाइट लें। नशीली पदार्थों का सेवन न करें।
- जन्म के बाद अपने साथ-साथ अपने बच्चे के डाइट का भी विशेष ध्यान रखें। समय-समय पर बच्चे का चेकअप करवाते रहें।
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों पर आधारित है। इसे अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें। DNP NEWS NETWORK इसकी पुष्टि नहीं करता है।
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