आमतौर पर सिगरेट पीने वाले और धुएं के सीधे संपर्क में आने वाले लोगों को धूम्रपान के दुष्प्रभाव का सामना करने वालों की श्रेणी में रखा जाता है लेकिन अब नुकसान का यह दायरा बढ़ गया है। सिगरेट की राख और फेंके गए बड में भी खतरनाक केमिकल होने की पुष्टि हुई है।
धूम्रपान न करने वाले लोग यह सोचकर संतोष कर सकते हैं कि वह भारत में तंबाकू का सेवन करने वाले करोड़ों लोगों में शामिल नहीं हैं। उन्हें यह बात भी तसल्ली दे सकती है कि वह धूम्रपान करने वालों के आसपास नहीं बैठते इसलिए परोक्ष रूप से धुएं के संपर्क में आकर हर साल जान गंवाने वाले लाखों पैसिव स्मोकर्स में भी वे शुमार नहीं हैं लेकिन उन्हें यह बात परेशान कर सकती है कि वह थर्ड हैंड स्मोकिंग के खतरे में हो सकते हैं क्योंकि सिगरेट पीने के घंटों बाद भी वातावरण में सिगरेट के अवशेष रह जाते हैं जिसमें 250 से ज्यादा जानलेवा रसायन होते हैं।
सिगरेट के अवशेष, राख, बड में भी खतरनाक केमिकल
आमतौर पर सिगरेट पीने वाले और धुएं के सीधे संपर्क में आने वाले लोगों को धूम्रपान के दुष्प्रभाव का सामना करने वालों की श्रेणी में रखा जाता है लेकिन अब नुकसान का यह दायरा बढ़ गया है। इसमें एक तीसरी कड़ी जुड़ गई है और यह तीसरी श्रेणी है, ‘थर्ड हैंड स्मोकर्स’ की।
थर्ड हैंड स्मोकिंग दरअसल सिगरेट के अवशेष हैं, जैसे बची हुई राख, सिगरेट बड और जिस जगह तंबाकू सेवन किया गया है, वहां के वातावरण में उपस्थित धुंए के रसायन। बंद कार, घर, ऑफिस का कमरा और वहां मौजूद फर्नीचर, आदि धूम्रपान के थर्ड हैंड स्मोकिंग एरिया बन जाते हैं। सिगरेट पीते हुए उसकी राख को ऐशट्रे में झाड़ना, खत्म होने पर सिगरेट के बड को ऐशट्रे में कुचल देना या बच्चों के आसपास सिगरेट ना पीना दरसअल सिगरेट के नुकसान को कुछ हद तक ही कम कर पाते हैं, पूरी तरह नहीं क्योंकि राख के कण, अधबुझी सिगरेट और धुएं का असर बहुत लंबे वक्त तक वातावरण को प्रभावित करते हैं।
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धूम्रपान से फेफड़े का कैंसर, ब्रॉन्काइटिस और हृदय रोग का खतरा
श्री बालाजी ऐक्शन मेडिकल इंस्टिट्यूट में सीनियर कंसलटेंट, रेस्पिरेटरी मेडिसिन, डॉ. ज्ञानदीप मंगल बताते हैं कि एक अनुमान के अनुसार 90 प्रतिशत फेफड़े के कैंसर, 30 प्रतिशत अन्य प्रकार के कैंसर, 80 प्रतिशत ब्रॉन्काइटिस, इन्फिसिमा और 20 से 25 प्रतिशत घातक हृदय रोगों का कारण धूम्रपान है। भारत में जितनी तेज़ी से धूम्रपान के रूप में तंबाकू का सेवन किया जा रहा है उससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि हर साल तंबाकू सेवन के कारण कितनी जानें खतरे में हैं। तंबाकू पीने का जितना नुकसान है उससे कहीं ज़्यादा नुकसान इसे चबाने से होता है। तंबाकू में कार्बन मोनोऑक्साइड और टार जैसे जहरीले पदार्थ पाये जाते हैं और यह सभी पदार्थ जानलेवा हैं।
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