प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आहवान पर देशभर में टीका उत्सव तो मनाया गया। लेकिन अब इस टीका उत्सव को लेकर सवाल उठ रहे हैं। दरअसल, स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों में भिन्नता ने उत्सव के रंग को फीका कर दिया है। स्वास्थ्य मंत्रालय के आकंड़ों से जाहिर होता है कि टीका उत्सव के दौरान घटे वैक्सीनेशन ने इस उत्सव के उद्देश्य को धूमिल कर दिया है। क्योंकि जिस टीका उत्सव के पीछे मकसद लोगों को टीकाकरण के प्रति जागरूक करना था, उसी वैक्सीनेशन कार्यक्रम पर वैक्सीन की कमी ने ग्रहण लगा दिया। कोरोना की दूसरी लहर ने देश भर में रौद्र रूप दिखाना शुरू कर दिया है। राज्य-दर-राज्य भीषण कोरोना संकट का सामना कर रहे हैं। रोजाना सामने आ रहे रिकॉर्ड मामलों ने केन्द्र और राज्य सरकारों की नींद उड़ा दी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अपील पर देश भर में 11 अप्रैल से 14 अप्रैल तक टीका उत्सव मनाया गया। लेकिन हकीकत ये है कि वैक्सीन की कमी ने इस टीका उत्सव की हवा निकाल दी। वैक्सीनेशन बढ़ने के बजाए 12 फीसदी घट गया। जिसके बाद प्रधानमंत्री की अपील और स्वास्थ्य मंत्री के दावों पर सवाल उठ रहे हैं। देश भर में वैक्सीन का संकट बरकरार है। कई राज्य खुलकर वैक्सीन की कमी जगजाहिर कर चुके हैं। लेकिन केन्द्र सरकार है जो वैक्सीन की कमी मानने को तैयार नहीं है। राज्य सरकारों ने जब वैक्सीन की कमी के बारे में बोला, तो केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन खुद मीडिया के सामने प्रकट हुए औऱ आंकड़े पेश करते हुए ये दावा कर दिया कि देश में वैक्सीन की कोई कमी नहीं है। राज्य अपनी नाकामी को छिपाने के लिए वैक्सीन की कमी का रोना रो रहे हैं।
4 दिन और 3 अलग-अलग आंकड़े
प्रधानमंत्री की टीका उत्सव मनाने की अपील पर सरकार के मंत्री से लेकर संत्री तक सभी जमकर इस उत्सव के प्रचार-प्रसार में जुट गए। टीका उत्सव मना, लेकिन टीकाकरण बढ़ने के बजाए उल्टा घट गया। covid19india.org के मुताबिक टीका उत्सव के दौरान यानि, 11 से 14 अप्रैल के बीच देशभर में वैक्सीन की 99.64 लाख डोज लगाई गई। जबकि इससे पहले 7 से 10 अप्रैल के बीच 1.13 करोड़, 3 से 6 अप्रैल के बीच 1.10 करोड़ और 30 मार्च से 2 अप्रैल के बीच 99.99 लाख वैक्सीन की डोज लगाई गई थी। इन आंकड़ों से साफ है कि टीका उत्सव में वैक्शीनेशन काफी घट गया, जबकि इस उत्सव का मकसद ही टीकाकरण को बढ़ाना था। हालांकि, केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के दो अलग-अलग आंकड़े हैं, जिससे असमंजस बरकरार है। 15 अप्रैल को जारी आंकड़े के मुताबिक इस बीच 1.28 करोड़ वैक्सीन की डोज लगाई गई। टीका उत्सव के पहे दिन 29.33 लाख, दूरे दिन 40.04 लाख, तीसरे दिन 26.46 लाख और चौथे दिन 33.13 लाख वैक्सान लगाई गई।
वैक्सीन की कमी का आरोप
कोरोना वैक्सीन की कमी का आरोप महाराष्ट्र, आन्ध्र प्रदेश, पंजाब, तेलंगाना राजस्थान और ओडिशा जैसे राजयों ने लगाया था। ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने इसको लेकर केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन को बाकायदा एक पत्र लिखा था। जिसमें वैक्सीन की कमी की वजह से 700 टीकाकरण केन्द्रों को बंद करने की बात लिखी थी। वहीं पंजाब के CM ने वैक्सीन की सप्लाई बढ़ाने की मांग की थी। कुल मिलाकर टीका उत्सव के उल्लास को वैक्सीन की कमी ने फीका कर दिया है। दावे चाहें जो भी हों, लेकिन टीका केन्द्रों पर वैक्सीन के अभाव ने इस उत्सव की हवा जरूर निकाल दी। ऐसे में सवाल प्रधानमंत्री की अपील पर उठ रहे हैं। अगर वैक्सीन का टोटा था तो उत्सव के नाम पर ये मजाक देश की जनता के साथ क्यों किया गया।