आजकल युवाओं में कार्डियक अरेस्ट का खतरा ज्यादा देखने को मिल रहा है। सबसे ज्यादा यह खतरा महिलाओं में देखा जा रहा है। महिलाओं को रात के समय कार्डियक अरेस्ट का खतरा ज्यादा रहता। ऐसा हम नहीं कह रहें बल्कि जर्नल हर्ट रिदम में छपे एक शोध से जानकारी मिली है। इस रिसर्च में पता चला है कि रात में सोते वक्त कार्डियक अरेस्ट की वजह से महिलाओं की मौत होने की संभावना ज्यादा है।
इससे पहले भी अन्य रिसर्च में भी यह दावा किया गया है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं को कार्डियक अरेस्ट का खतरा अधिक है। हाल ही में यूरोपियन हार्ट जर्नल में छिपी एक शोध में दावा किया गया था कि कोरोना संक्रमित मरीजों में महिलाओं को दिल का दौरा पड़ने से अधिक मौत हुई है।
वहीं जर्नल हर्ट रिदम में छपी रिपोर्ट के हिसाब से रात के समय कुल मरीजों में 20.6 फीसदी पुरुषों की तुलना में 25.4 फीसदी महिलाओं को कार्डियक अरेस्ट का सामना करना पड़ता है।इस बारे में मेडिकल एक्सपर्ट्स का कहना है कि मरीज देर रात आराम मुद्रा में रहते हैं। इस दौरान मेटाबॉलिज़्म, हार्ट रेट और ब्लड प्रेशर कम हो जाता है। रात के समय अचानक कार्डियक अरेस्ट आने से मरीज की मौत भी हो जाती है।
इस शोध में 4126 मरीजों को शामिल किया गया था। जिसमें 3208 मरीजों को दिन में और 918 मरीजों को रात के समय कार्डियक अरेस्ट का सामना करना पड़ा था। रात के समय कार्डियक अरेस्ट के शिकार मरीजों में ज्यादातर महिलाएं थी।
सडन कार्डियक अरेस्ट वह स्थिति है, जिसमें दिल धड़कना बंद कर देता और रक्तचाप कम होने लगता है। साथ ही विद्युत तरंगों में खराबी अथवा गड़बड़ी आ जाती है। इसके चलते ह्रदय से रक्त पंप नहीं होता है। इसके चलते हैं ह्रदय से रक्त पंप नहीं होता है। इससे मरीजों को सांस लेने में बहुत तकलीफ होती है। अक्सर ऐसी स्थिति में मरीज बेहोश हो जाता है और समय पर इलाज नहीं मिलने पर मरीज की मौत हो जाती है।
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