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Anti Conversion Law: शिवराज सरकार करेगी सुप्रीम कोर्ट का रुख, मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर की जाएगी याचिका

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Anti Conversion Law: मध्य प्रदेश सरकार अब हाई कोर्ट के उस अंतरिम आदेश को चुनौती देने जा रही है जिसमें जिला मजिस्ट्रेट को बिना सूचित किये विवाह करने वाले अंतरधार्मिक जोड़ों पर कार्रवाई करने की बात की गयी थी। इसके लिए मध्य प्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट का रुख करेगी। मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य सरकार को यह निर्देश दिए हैं कि “अपनी मर्जी से शादी करने वाले वयस्कों के विरुद्ध मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम की धारा 10 के तहत कोई कार्रवाई ना की जाए।”

जिला मजिस्ट्रेट को देनी होती है पूर्व सूचना

जस्टिस सुजॉय पॉल और जस्टिस पीसी गुप्ता की बेंच ने कहा कि “धारा 10 धर्मांतरण करने की इच्छा रखने वाले नागरिक के लिए यह अनिवार्य करता है कि वह इस मामले में एक पूर्व सूचना जिला मजिस्ट्रेट को दे। लेकिन हमारे विचार से यह इस कोर्ट के पूर्व निर्णयों के आलोक में असंवैधानिक है।”

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एडवोकेट जनरल प्रशांत सिंह ने दी जानकारी

हाईकोर्ट के 14 नवंबर के आदेश में कहा गया है कि ” राज्य सरकार द्वारा अपनी मर्जी से शादी करने वाले वयस्कों के खिलाफ मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम की धारा 10 के उल्लंघन को लेकर अदालत के अगले आदेश तक कोई दंडात्मक कार्रवाई ना की जाए।” रविवार को एडवोकेट जनरल प्रशांत सिंह ने बताया कि “राज्य सरकार हाई कोर्ट के उस अंतरिम आदेश को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट जा रही है जिसमें जिला मजिस्ट्रेट को बिना सूचित किये ही विवाह करने वाले अंतरधार्मिक जोड़ों पर मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम की धारा 10 के तहत कार्रवाई ना करने की बात कही गयी है।

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यह है मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम

दरअसल मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम प्रलोभन, बिना मर्जी से विवाह, धमकी और दूसरे कपटपूर्ण तरीके से धर्मांतरण पर रोक लगाता है। अब प्रशांत सिंह जल्द ही इस सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने जा रहे हैं। बेंच ने मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 2021 के प्रावधानों को चुनौती देने वाली सात याचिकाओं के एक समूह पर यह आदेश जारी किया। याचिका दायर करने वालों ने अधिनियम के तहत किसी भी व्यक्ति को अभियोजित करने से रोकने के लिए अंतरिम राहत प्रदान करने की गुजारिश की थी।

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