Collegium System: जजों की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट और सरकार के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है। अब यह तकरार और भी बढ़ती जा रही है। सरकार जहां एक तरफ सिस्टम में बदलाव की वकालत कर रही है। वहीं नई मुख्य न्यायाधीश ने इसे सही ठहराया है। इसी भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर जजों की नियुक्ति की नई प्रक्रिया तय करने की गुहार लगाई गई। इसके अलावा कॉलेजियम सिस्टम को लेकर विवाद भी बढ़ता जा रहा है। अभी हाल ही में कॉलेजियम की तरफ से भेजे गए नामों पर सरकार की तरफ से कोई भी निर्णय ना लिए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई थी।
21 में से सिर्फ 2 नामों को सरकार ने दी मंजूरी
बता दें कि कॉलेजियम द्वारा जजों की नियुक्ति के लिए 21 नामों की सिफारिश की गई। उनमें से केंद्र सरकार ने 19 नाम वापस कर दिए है। सिर्फ 2 नामों को ही मंजूरी दी है। एक रिपोर्ट के मुताबिक बता दें कि 28 नवंबर को जजों की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से घंटों पहले नामों की सिफारिश की गई थी। इसमें 10 नाम ऐसे शामिल है जो कॉलेजियम द्वारा दोहराए गए। वही 9 नामों की पहली बार सिफारिश की गई। 21 नामों में से केवल 2 नामों को ही मंजूरी दी गई है। केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजीजू ने भी कल मंगलवार को एक ट्वीट भी किया।
सरकार ने दो सिफारिशों को स्वीकार किया
केंद्रीय कानून मंत्री ने ट्वीट में कहा कि “दो सिफारिशों को स्वीकार कर लिया गया है। वकील संतोष गोविंद चपलगांवर और मिलिंद मनोहर सथाये को बॉम्बे हाईकोर्ट का जज बनाया गया है।” केंद्र सरकार द्वारा जिन नामों की वापसी की गई हैं, उनमें इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पांच नाम, कोलकाता उच्च न्यायालय के दो नाम, केरल हाईकोर्ट के 2 नाम और कर्नाटक हाईकोर्ट का एक नाम शामिल है।
इन नामों को दोहराया गया
इलाहाबाद कोर्ट द्वारा जिन नामों को दोहराया गया है। उनमें रिशद मुर्तजा, शिशिर जैन, ध्रुव माथुर, विमलेंद्र त्रिपाठी और मनु खरे का नाम शामिल है। इसके अलावा बॉम्बे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपांकर दत्ता को सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर सिफारिश करने वाला कॉलेजियम का 26 सितंबर का फैसला भी सरकार के पास अभी लंबित है।
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