Maharashtra Government: महाराष्ट्र में बदली सियासत के चलते हुए बदलाव से कोई भी संतुष्ट होता नहीं दिख रहा हैं। उद्धव ठाकरे के गुट के बाद अब सीएम एकनाथ शिंदे ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया हैं। शिंदे ने कोर्ट में ताजा हलफनामा दाखिल किया है। इसमें उद्धव कैंप की तरफ से दायर याचिकाओं को खारिज करने की मांग की गई है। साथ ही यह भी कहा गया है कि ‘असली’ शिवसेना चुनने की अनुमति भारत निर्वाचन आयोग को दी जानी चाहिए। खास बात है कि ECI ने दोनों गुटों से 8 अगस्त तक दावे और आपत्ति मंगाए हैं।
चुनाव आयोग को उद्धव गुट की तरफ से दी गई याचिका में बागी विधायकों पर फैसला आने तक कोई भी फैसला लेने से रोकने की मांग की गई थी। शिंदे ने हलफनामे में कहा है कि 15 विधायक 39 के समूह को बागी नहीं कह सकते। वहीं, सीएम के एक करीबी ने कहा, ‘पार्टी की मान्यता और चुनाव चिह्न के मुद्दों से चुनाव आयोग निपटता है। अगर सभी पार्टियां सुप्रीम कोर्ट के पास आने लगेंगी, तो ऐसी अथॉरिटी का मतलब क्या है।’
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राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के फ्लोर टेस्ट का फैसला
एफिडेविट में यह भी कहा गया है कि विधायकों को अयोग्य ठहराने के मुद्दे पर स्पीकर को फैसला लेना चाहिए और कोर्ट को दखल नहीं देना चाहिए। साथ ही हलफनामे में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के फ्लोर टेस्ट के फैसले का भी जिक्र किया गया है। उद्धव खेमे की तरफ से कोश्यारी के इस फैसले को भी चुनौती दी गई है।
कैबिनेट विस्तार को लेकर स्थिति साफ नहीं हैं
राज्य में कैबिनेट विस्तार को लेकर भी स्थिति साफ नहीं हो सकी है। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने शिवसेना में फूट से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई 1 अगस्त के बजाए 3 अगस्त के लिए सूचीबद्ध की हैं। शनिवार को सीएम शिंदे ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से भी दिल्ली में मुलाकात की थी। खबर है कि दोनों के बीच कैबिनेट विस्तार को लेकर करीब 45 मिनट तक चर्चा हुई है।
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