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Rajasthan Congress में पायलट गुट के विधायकों ने साधी चुप्पी, जानें किस करवट बैठेगी Ashok Gehlot सरकार

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Rajasthan Legislative Election 2023: विगत वर्षों में मध्य प्रदेश की भांति ही राजस्थान कांग्रेस में भी गुटबाजी ने प्रदेश कांग्रेस से लेकर दिल्ली दरबार तक की नींद उड़ा रखी थी। जब गहलोत गुट और पायलट गुट के मध्य सत्ता का संघर्ष खुलकर सामने आ गया था। जो राहुल और प्रियंका के हस्तक्षेप के पश्चात ही शांत हुआ था। अब जब राजस्थान चुनावी वर्ष में प्रवेश कर गया है। तब तत्कालीन समय में मुखर हुए पायलट गुट के विधायकों ने रहस्यमयी राजनितिक चुप्पी ओढ़ ली है। कदापि उन्हें राजस्थान में कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा के बाद संकेत मिल गए हैं। कि अगले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ही रहेंगे।

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राहुल ने की थी गहलोत के साथ अलग बैठक

आपको बता दें कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा के राजस्थान यात्रा के दौरान राहुल ने अशोक गहलोत के साथ एक व्यक्तिगत बैठक की थी और अनुमान लगाए जा रहे हैं कि इसके बाद ही दिल्ली की तरफ से कोई स्पष्ट संदेश पायलट गुट के विधायकों को दे दिया कि मुख्यमंत्री पद पर कोई परिवर्तन नहीं होने वाला हैं। तब से ही पायलट गुट के विधायकों ने अपनी सक्रियता को सीमित कर लिया गया है। चूँकि उन्हें लगने लगा हैं कि जनवरी में राजस्थान का अंतिम राज्य बजट प्रस्तुत किया जाएगा। जिसके माध्यम से विधायकों ने भी अपने अपने विधानसभा क्षेत्रों के लिए कुछ अनुपूरक मांगों को रखा है। उनको कदापि यही डर सता रहा है कि कहीं गहलोत सरकार इस महत्वपूर्ण समय में मांगों को निरस्त कर उनके क्षेत्रों में राजनितिक संकट खड़ा न कर दे। इसीलिए विरोध में मुखर रहने वाले विधायकों ने अवसर की महत्ता समझते हुए चुप्पी साध लेना ही उचित समझा है। जबकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पहले ही कह चुके हैं कि विधायक जो भी मांगेंगे उन्हें दिया जाएगा।


जानें कौन कौन विधायक रहे थे सुर्ख़ियों में


पायलट गुट के माने जा रहे मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने आजकल सक्रियता को कम करके राजनीतिक चुप्पी ओढ़ ली है जो नेतृत्व परिवर्तन की मांग उठाने वालों में प्रमुख रूप से आगे थे। एक और कांग्रेस विधायक दिव्या मदेरणा जो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह जिले जोधपुर से ही आती हैं। इन्होने भी पिछले वर्ष मुख्यमंत्री गहलोत पर परोक्ष रूपसे निशाना साधा था और महेश जोशी ,मंत्री शांति धारीवाल तथा दर्जा प्राप्त मंत्री धर्मेंद्र राठौड़ को कठघरे में खड़ा कर विरोध को हवा दे दी थी। किन्तु भारत जोड़ो यात्रा के बाद से ही दिव्या मदेरणा ने चुप्पी साध ली है कि कहीं हनुमान बेनीवाल जो उनके विधानसभा क्षेत्र से ही हैं उनके लिए अगले विधानसभा चुनाव में खतरा बन सकते हैं। उन्हें ज्ञात है कि बिना गहलोत के चुनाव नहीं जीत सकती। इसी सूचि में कांग्रेस विधायक खिलाई लाल वैरवां भी आते हैं।

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