Uttarakhand: केंद्र सरकार ने आयुष्मान योजना से सिजेरियन डिलीवरी को हटाने के बारे में राज्यों को दिशा-निर्देश जारी किए हैं। जानकारों के मुताबिक जननी सुरक्षा योजना के तहत सरकारी अस्पतालों में गर्भवती महिलाओं का इलाज मुक्त होता है। उन्हें आर्थिक सहायता के साथ-साथ आने-जाने की सुविधा भी प्रदान की जाती है। इसी कारण आयुष्मान योजना के कार्ड पर निजी अस्पतालों में सिजेरियन डिलीवरी की सुविधा बंद कर दी गई है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण को लिखा पत्र
केंद्र का निर्देश आने के बाद ही योजना में सूचीबद्ध निजी अस्पताल आयुष्मान कार्ड पर गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी करने से मना कर रहे हैं। इस योजना के तहत सरकारी अस्पतालों में ही गर्भवती महिलाओं को मुफ्त सिजेरियन की सुविधा मिलेगी। राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के अध्यक्ष डीके कोटिया ने बताया कि प्राधिकरण ने कार्ड धारक गर्भवती महिलाओं को इलाज कराने में परेशानियों को लेकर प्रदेश सरकार और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण को पत्र भेजा है।
967 करोड़ की राशि खर्च
जब तक इस पत्र का जवाब नहीं मिलता तब तक सूचीबद्ध निजी अस्पतालों को इमरजेंसी में गर्भवती महिलाओं को इलाज की सुविधा देने के लिए कहा गया है। लेकिन इसके लिए अस्पतालों को प्राधिकरण से अनुमति लेनी होगी। बता दें कि कार्ड धारको के इलाज पर सरकार ने 967 करोड़ की राशि खर्च की है। वर्तमान समय में संस्थागत प्रसव की दर 89% है। यानी 100 गर्भवती महिलाओं में 89 अस्पतालों में प्रसव के लिए आती है। आयुष्मान कार्ड पर निजी अस्पतालों में सिजेरियन डिलीवरी की सुविधा खत्म करने से संस्थागत प्रसव बढ़ाने के प्रयास को झटका लग सकता है।
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