Work From Home: वर्क फ्रॉम होम लागू करने के विचार पर क्या है सरकार की रणनीति, भारत में कितने सेज बनाने की योजना

Work From Home: वर्क फ्रॉम होम करने की इच्छा रखने वाले लोगों के लिए एक अच्छी खबर सामने आई है। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि सरकार स्पेशल इकोनामिक जोन यानी विशेष आर्थिक जोन में काम करने वाली कंपनियों की ओर से की जा रही 100% वर्क फ्रॉम होम की मांग पर विचार कर रही है। बता दे कि कुछ महीने पहले ही वाणिज्य मंत्रालय की ओर से स्पेशल इकोनामिक जोन की इकाइयों में काम कर रहे 50% तक के कर्मचारियों को घर से काम करने की इजाजत दी गई थी। जिसमें कॉन्ट्रैक्ट में काम करने वाले लोगों को भी शामिल किया गया।

वर्क फ्रॉम होम का मिला अच्छा नतीजा

वर्क फ्रॉम होम की इजाजत अधिकतम एक साल के लिए दी गई थी। अब इस पर पीयूष गोयल ने कहा कि इस फैसले से छोटे शहरों में नौकरियों की संभावनाएं और सेवाओं के विस्तार की उम्मीद की जा रही है। व्यापार बोर्ड की बैठक के बाद पीयूष गोयल ने कहा कि कोरोना काल में स्पेशल इकोनामिक जोन में वर्क फ्रॉम होम शुरू किया गया था। जिसकी सब ने तारीफ की थी और अब नतीजा यह रहा कि सेवा क्षेत्र के निर्यात में बड़ा उछाल आया है। साल 2021 में 254 मिलियन डॉलर का उछाल देखने को मिला। इस बार 2022 में कुछ इसी तरह की उम्मीद की जा रही है।

स्पेशल इकोनामिक जोन क्या होता है

विशेष आर्थिक क्षेत्र उस क्षेत्र को कहा जाता है जहां से विभिन्न तरह के व्यापार, उत्पादन और तमाम व्यापारिक गतिविधियां सुचारू रूप से चलती हैं। इन क्षेत्रों को सरकार बिजनेस के लिए काफी सुगम बनाती है और बहुत ही प्लानिंग के साथ कई जगहों का विस्तार करती है। विशेष आर्थिक क्षेत्र स्थापित करने के मामले में भारत शीर्ष देशों में शामिल हो गया है। जहां से तमाम व्यापारिक गतिविधियों को चलाकर लाखों लोगों को रोजगार का केंद्र बनाया गया है।

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स्पेशल आर्थिक जोन का आईडिया

साल 2000 से पहले वाजपेयी सरकार ने एक पॉलिसी को मंजूरी दी थी, जिसमें आर्थिक क्षेत्र बनाने की योजना थी। इसके बाद यूपीए सरकार ने स्पेशल इकोनामी जोन एक्ट पास किया। इस एक्ट में टैक्स में छूट और जमीन मुहैया कराने की बात कही गई थी। इससे पहले साल 2018 में भारत में चल रहे स्पेशल इकोनामिक जोन नीति पर एक रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपी गई थी। इसमें क्षेत्रों को विश्व व्यापार संगठन की मांगों के मुताबिक बनाने की सलाह दी गई। अगर भारत को 2025 तक 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना है तो मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के अलावा सेवा क्षेत्र को बढ़ाने के लिए कुछ बुनियादी बदलाव करने होंगे।

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378 सेज बनाने की अधिसूचना

पीआईबी से मिली डाटा के मुताबिक एक्ट 2005 के पहले 7 केंद्रीय और 12 राज्य/निजी सेक्टर की ओर से इकोनामिक जोन बन चुके थे एक्ट 2005 के बाद से 425 स्पेशल इकोनामिक जोन बनाने का प्रस्ताव रखा गया देश में 378 सेज बनाने की अधिसूचना को जारी किया जा चुका है।

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