Chanakya Niti: आज के समय में आचार्य चाणक्य किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। बता दें, आचार्य बहुत बड़े अर्थशास्त्री नीतिकार और सलाहकार थे। आचार्य से सभी राजा महराजा सलाह लिया करते थे और अपने प्रजा पर शासन किया करते थे। आचार्य सभी के लिए प्रेरणादायक हैं। आज के समय में सभी व्यक्ति अपने जीवन को सही से जीने के लिए आचार्य की नीति से सलाह लिया करते हैं।
आचार्य चाणक्य ने पति-पत्नी के संबंध और महिला पुरुष के चरित्र पर भी चित्रण किया हुआ है। आचार्य ने इनके स्वभाव एवं व्यक्तित्व को विस्तार से दर्शाया है। इसके अलावा चाणक्य कहते हैं कि ऐसी पत्नी को कभी सुख नहीं मिल सकता है जो अपने पति की आज्ञा के बिना उपवास रूपी व्रत रखती है। जी हां, आचार्य कहते हैं ऐसी महिलाओं को नर्क में भी बेहद कष्ट भोगना पड़ता है। तो आइए विस्तार से जानते हैं क्यों कहते हैं आचार्य।
इस श्लोक में किया गया हैं वर्णन
पत्युराज्ञां विना नारी ह्युपोष्य व्रतचारिणी ।
आयुष्यं हरते भर्तुः सा नारी नरकं व्रजेत् ॥
आचार्य चाणक्य सत्रहवां अध्याय में बताए हैं कि जो भी स्त्री अपने पति की आज्ञा के बिना व्रत उपवास करती हैं। उससे उनके पति की आयु बढ़ने की जगह कम हो जाती है। ऐसी महिलाओं को कभी पुण्य नहीं मिलता है। ये महिलाएं हमेशा पापों का भागी बनती हैं। पति के आज्ञा के बिना व्रत करने से महिलाओं को नर्क प्राप्त होता है। इन्हें नर्क में भी बेहद कष्ट भोगना पड़ता है। ऐसी महिलाओं की दुर्गति नर्क में भी होती है।
क्या निकलता इस नीति से निष्कर्ष
इस नीति में आचार्य का कहना है कि जब भी महिलाएं व्रत या उपवास रखती हैं तो अपने पति से आज्ञा जरूर लें। बिना आज्ञा के इनके व्रत का विपरीत प्रभाव पड़ता है। ये भले ही अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं मगर इससे उनके पति की आयु कम ही हो जाती है। इसलिए हमेशा व्रत रखने से पहले पति की आज्ञा के साथ व्रत का संकल्प करें। इससे आपको पुण्य भी मिलेगा और आपके पति की आयु की बढ़ेगी।
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