Banaras: महादेव का बसाया हुआ शहर जो उनके त्रिशूल पर स्थित है। जहां का वातावरण बिलकुल शुद्ध हैं, जहां बस भारत की संस्कृति और सभ्यता का प्रमाण हैं। ऐसे ही उसे मोक्ष नगरी थोड़ी ही कहते हैं। चलिए अब थोड़ा विस्तार से जानेते हैं और काशी की सैर करते हैं।
कहते हैं कि बनारस का निर्माण स्वयं महादेव ने किया है। यहाँ की खूबसूरती अक्सर पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केन्द्र होता है। काशी इसीलिए खूबसूरत नहीं है कि वो मोक्ष-नगरी है, बल्कि यहाँ के वातावरण की बात ही अलग है।
काशी में प्रवेश के साथ दिखता है ऋषि मुनियों का संगम और याद आ जाती है अपने हिंदुस्तान की संस्कृति, जिसका ज्ञान इस मुल्क के हरेक नागरिक को होना चाहिए। बस इतना ही नहीं वहा गूंजती है वह शंख से निकलती हुई ध्वनि, जिसमें सुकून का बास होता है।
काशी में कुछ चीजें बहुत अनोखी भी हैं, जैसे – वहां की गलियां, जो किसी भूल-भुलैया को टक्कर दे दें। साथ ही उन गलियों से प्राप्त हुई अनुभूति, जो अपनापन सिखाती है।
अब इसके साथ साथ बढ़ते हैं हम गंगा घाट की ओर
‘गंगा घाट’, नाम में ही कितनी शांति है न! हमें शांति को पाने की कोई जगह मिल जाए तो कितनी खुशी होगी। यह स्थान है बनारस का गंगा घाट, जहां स्नान से होती है सुबह और आरती से शाम, नाव की सवारी से काशी का भ्रमण और भ्रमण करने वाला लेखक हो तो उसकी लेखनी में चार चांद लग जाते हैं। यही तो खूबसूरती है इस शहर की और इसी रंग में रंग जाते हैं यहाँ आने वाले लोग।
‘मत कर माया को अहंकार’ का साक्षात् अर्थ
मणिकर्णिका घाट केे नाम से हमें एक ही बात कहा जाता है कि जाओ मणिकर्णिका, सब सीख जाओगे… जिंदगी का मतलब पता चल जाएगा। किसी भी वक्त जाना या फिर देखना लेकिन वहां अमीर-गरीब सबकी एक ही पहचान है। उसके परिजन एक ही साथ आंखों में आंसू और होठों पर उदासी के साथ उसे विदा करते हैं। मोह को भंग होते और अपनों से संग टूटते हैं यहां, इसलिए तो मोक्षदायनी कहते हैं काशी को भी और मणिकर्णिका को भी! तो बताइये, लगा इससे खूबसूरत कोई और शहर!
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