आज शायद ही कोई उत्पाद है, जिसमें टाटा की धमक नहीं हो। नमक, मसाले, दाल से लेकर रेडीमेड कपड़े और दवा तक में टाटा है। अब कहा जा रहा है कि टाटा समूह एयर इंडिया को वापस ले सकता है। भारत के सबसे बड़े व्यापार समूह टाटा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी टाटा संस ने घाटे में चल रही सरकारी एयरलाइन एयर इंडिया के अधिग्रहण के लिए बुधवार को वित्तीय बोली सौंपी है। इसके लिए कई कंपनियों ने फाइनेंशियल बिड जमा की हैं जिसमें टाटा का नाम सबसे आगे है।
टाटा के पास वापस लौट सकती है एयर इंडिया
एयर इंडिया की खरीद में कई कंपनियों ने रुचि दिखाई है। इसके लिए कई कंपनियों ने फाइनेंशियल बिड जमा की हैं। इसमें टाटा का नाम सबसे आगे है। एयर इंडिया की शुरुआत 1932 में टाटा ग्रुप ने ही की थी। टाटा समूह के जे. आर. डी. टाटा ने इसकी शुरुआत की थी, वे खुद भी एक बेहद कुशल पायलट थे। अब टाटा ग्रुप ने इसकी खरीद के लिए फाइनेंशियल बिड जमा की है, तो देखना होगा कि क्या एयर इंडिया वापस से टाटा समूह के पास लौटती है।
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टाटा ग्रुप ने ही शुरू किया था एयर इंडिया
बता दें कि एयर इंडिया को टाटा ग्रुप ने ही साल 1932 में शुरू किया था। बाद में 1953 में इसे सरकार को बेच दिया गया। अब एक बार फिर टाटा ग्रुप एयर इंडिया को अपना बनाना चाहता है। सरकार को उम्मीद है कि एयर इंडिया का विनिवेश अगले वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही तक पूरा हो जाएगा।
ऐसे बनी एयर इंडिया सरकारी कंपनी
दूसरे विश्व युद्ध के बाद भारत से सामान्य हवाई सेवा की शुरुआत हुई थी। तब इसका नाम एयर इंडिया रखकर इसे एक सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी बना दिया गया। वर्ष 1947 में देश की आज़ादी के बाद एक राष्ट्रीय एयरलाइंस की जरूरत महसूस हुई और भारत सरकार ने एयर इंडिया में 49% हिस्सेदारी कर ली। इसके बाद 1953 में भारत सरकार ने एयर कॉरपोरेशन एक्ट पास किया और टाटा ग्रुप से इस कंपनी में बहुलांश हिस्सेदारी खरीद ली। इस तरह एयर इंडिया पूरी तरह से एक सरकारी कंपनी बन गई।
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