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Bihar Election 2025: एनडीए या महागठबंधन? बिहार में किसकी बन रही सरकार? मतदान से पहले ही ओपिनियन पोल में हुआ बड़ा खुलासा

Bihar Election 2025: मतदान से ठीक पूर्व ओपिनियन पोल में एनडीए को बढ़त मिलने का अनुमान जताया जा रहा है। वहीं सत्ता की कुर्सी तक पहुंचने के लिए प्रयासरत महागठबंधन पिछड़ता नजर आ रहा है।

Bihar Election 2025
Picture Credit: गूगल (नीतीश कुमार & तेजस्वी यादव - सांकेतिक तस्वीर)

Bihar Election 2025: चुनावी रण में किसकी जीत होगी और किसके हाथ मात लगेगा ये तो 14 नवंबर को नतीजों की घोषणा के बाद ही पता चलेगा। हालांकि, उससे पूर्व ओपिनियन पोल सामने आ गया है जिसमें बड़ा खुलासा होता नजर आ रहा है। बिहार में पहले चरण के मतदान से ठीक पहले आज आईएएनएस मैटराइज एजेंसी का सर्वे सामने आया है।

एजेंसी द्वारा ली गई ओपिनियन पोल रिपोर्ट की मानें तो बिहार में फिर एक बार एनडीए की सरकार बन सकती है। एजेंसी की सर्वे रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि एनडीए 153-164 सीट हासिल कर बिहार की सत्ता में वापसी कर सकती है। वहीं महागठबंधन को 78-87 सीटें मिलने का अनुमान है। वहीं पोलस्ट्रैट के पोल में एनडीए को 133-143 और महागठबंधन को 93-102 सीटें मिलने का अनुमान है। ऐसे में यदि दोनों ओपिनियन पोल सही साबित हुई, तो बिहार में एनडीए की सरकार बन सकती है।

ओपिनियन पोल में किसको मिल रही बढ़त – Bihar Election 2025

एजेंसी आईएएनएस मैटराइज द्वारा ली गई ओपिनियन पोल के मुताबिक बिहार में एनडीए को बढ़त मिलती नजर आ रही है। पहले चरण के मतदान से एक दिन पूर्व जारी हुई ओपिनियन पोल रिपोर्ट की मानें तो एनडीए बिहार चुनाव 2025 में 153-164 सीट जीत सकती है। वहीं महागठबंधन को 78-87 सीटें मिलने का अनुमान है।

ओपिनियन पोल में दलों को मिलने वाली सीट पर भी अनुमान जताया गया है। इसके तहत बीजेपी सबसे ज्यादा 83-87 सीटों पर जीत हासिल कर सकती है। वहीं जेडीयू 61-65, राजद 62-66, कांग्रेस 7-9, लोजपा (आरवी) 4-5, सीपीआई 6-8, हम 3-4, आरएलएम 1-2, वीआईपी 1-2, पीके 2-3 और ओवैसी के उम्मीदवार 1-2 सीट जीत सकते हैं।

चुनावी दौर में कितना अहम होता है ओपिनियन पोल?

ओपिनियन पोल के खास मायने हैं। सबसे पहले ये समझना होगा कि एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल दो अलग-अलग चीजें हैं। ओपिनियन पोल चुनाव से पहले जनता की राय जानने के लिए किया जाता है। इसके तहत मतदान से पहले लोगों की राय ली जाती है। वहीं एग्जिट पोल में मतदान के दौरान मतदाताओं की राय ली जाती है और उस आधार पर रिपोर्ट तैयार की जाती है।

एजेंसियां ओपिनियन पोल की मदद से जनता की राय जानते हुए चुनावी समीकरण समझने की कोशिश करती हैं। इसके जरिए सिर्फ अनुमान जताए जाते हैं, नाकी गारंटी दी जाती है। ये कई बार सही साबित हो जाते हैं और कई बार ओपिनियन पोल लेने वाली एजेंसियों के हाथ निराशा भी लगती है। अब देखना दिलचस्प होगा कि बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के संदर्भ में ओपिनियन पोल किस हद तक सही या गलत साबित होता है।

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