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Bihar Election Results 2025: शह-मात के खेल में कहां हो गई चूक? क्या ये गलती महागठबंधन को ले डूबी? जानें कैसे प्रमुख सीटों को बचाने के पड़ रहे लाले

Bihar Election Results 2025: शह-मात के खेल में महागठबंधन चूक गई है और बहुमत एनडीए के हिस्से जाते नजर आ रहा है। आलम ये है कि महागठबंधन के तमाम प्रमुख नेता अपनी सीट पर पिछड़ते नजर आ रहे हैं।

Bihar Election Results 2025
Picture Credit: गूगल (सांकेतिक तस्वीर)

Bihar Election Results 2025: रुझान अब नतीजों में बदलने लगे हैं और एनडीए की सरकार बननी लगभग तय है। इस बीच पटना की सड़कों पर जश्न का माहौल है और एनडीए कार्यकर्ता एक-दूसरे को लड्डू-मिठाइयां खिलाकर जश्न मना रहे हैं। एग्जिट पोल से भी आगे पार करते हुए एनडीए ने प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की है। वहीं लंबे समय से सत्ता में काबिज होने को प्रयासरत महागठबंधन के हाथों फिर निराशा लगी है।

शह-मात के इस खेल में महागठबंधन कई मोर्चों पर चूक गई है। अपना कुनबा न समेट पाना, अति आत्मविश्वास, आंतरिक कलह आदि समेत कुछ ऐसी वजहें रहीं जिसके कारण महागठबंधन की नैया डूब गई है। आलम ये है कि तेजस्वी यादव, खेसारी लाल, तेज प्रताप आदि जैसे दिग्गजों को अपनी सीट बचाने के लाले पड़े हैं। ऐसे में आइए हम चुनावी नतीजों की समीक्षा कर आसान शब्दों में सभी सवालों का जवाब देने की कोशिश करते हैं।

शह-मात के खेल में कहां चूक गई महागठबंधन?

चुनावी नतीजों की घोषणा के साथ ही ये स्पष्ट है कि महागठबंधन शह-मात के इस खेल में चूक गई है। खबर लिखे जानें तक एनडीए के उम्मीदवार 204 सीटों पर आगे चल रहे हैं। यदि रुझान अंतिम नतीजों में परिवर्तित हुए तो ये एनडीए के लिए बहुत बड़ी जीत होगी। हालांकि, इन सबके बीच महागठबंधन की दुर्गति चर्चाओं में है। महागठबंधन के उम्मीदवार अभी 29 सीटों पर आगे चल रहे हैं। ये दर्शाता है कि कैसे विपक्ष को एक-एक सीट जीतने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। यहां तक कि तेजस्वी यादव, तेज प्रताप यादव, खेसारी लाल यादव, वीणा देवी जैसे नेताओं की साख भी दांव पर लगी है।

दावा किया जा रहा है कि महागठबंधन एनडीए की तुलना में समीकरण साधने में नाकामयाब रहा था। उदाहरण के तौर पर समझें तो अमित शाह की पटना में मौजूदगी कई सवालों का जवाब है। अमित शाह ने टिकट बंटवारे से लेकर बागियों को मनाने तक में अहम भूमिका निभाई थी। वहीं महागठबंधन में ऐसी भूमिका किसी की नहीं रही और वीआईपी, कांग्रेस के साथ वाम दल भी टिकट बंटवारे में खूब नाराज हुए। लालू यादव का परिवार भी इस कलेश से नहीं बच सका और तेज प्रताप के समक्ष राजद ने उम्मीदवार उतार दिया। इन सारे समीकरणों से बिहार में गलत संदेश गया जिसके परिणामस्वरूप महागठबंधन को बुरी तरह हार झेलनी पड़ रही है।

बिहार के प्रमुख सीटों को बचाने के भी पड़ रहे लाले

विपक्ष के लिहाज से बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के परिणाम बड़े निराशाजनक रहे हैं। आलम ये है कि तेजस्वी यादव, तेज प्रताप, खेसारी लाल यादव, वीणा देवी, शिवानी शुक्ला, अनीता देवी महतो, दिलीप सिंह, भोला यादव, जितेन्द्र राय जैसे दिग्गज नेता अपनी-अपनी सीट पर पिछड़ गए हैं। सीमांचल में भी विपक्ष की स्थिति खराब है और पप्पू यादव के लोकसभा क्षेत्र में ही कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है।

ये स्थिति बिहार विपक्ष की रणनीति की असफलता को दर्शाती है। राहुल गांधी ने बिहार कांग्रेस की जिम्मेदारी अल्लवारू कृष्णा को सौंपी थी जिन पर टिकट बिक्री के आरोप लगे। इससे इतर राहुल गांधी चुनावी कैंपेन के दौरान विदेश दौरे पर रहे। कांग्रेस की ओर से शीर्ष नेतृत्व इस चुनाव में दिलचस्पी न के बराबर लेता नजर आया। सारा दारोमदार तेजस्वी यादव के हाथों में था जिनके इर्द-गिर्द रहने वालों पर गंभीर आरोप लगे।

इन सारे समीकरणों ने बिहार की जनता के बीच अलग संदेश प्रसारित किया और महागठबंधन विफल हो गई। जनता के समक्ष महागठबंधन के नेताओं में सत्ता के शीर्ष तक पहुंचने की लड़ाई सबने देखी और अंतत: तेजस्वी को चेहरा घोषित करना विपक्ष के लिए भारी पड़ गया। आलम ये है कि महागठबंधन के प्रमुख-प्रमुख नेता अपनी सीट हारते नजर आ रहे हैं और विपक्ष की भीषण दुर्दशा हो रही है।

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