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BMC Elections 2026: इधर उद्धव ठाकरे-राज ठाकरे, तो उधर शरद पवार-अजित पवार के मिल रहे सुर! क्या असर डाल सकता है नया समीकरण? जानें

BMC Elections 2026 से पहले मुंबई की सियासी हवा बदल रही है। आलम ये है कि इधर उद्धव ठाकरे-राज ठाकरे एक हुए हैं, तो इधर शरद पवार-अजित पवार के सुर मिलने की अपुष्ट खबर सामने आ रही है।

BMC Elections 2026
Picture Credit: गूगल (सांकेतिक तस्वीर)

BMC Elections 2026: महाराष्ट्र की राजधानी में बन रहा नया सियासी समीकरण सभी का ध्यान आकर्षित कर रहा है। दशक भर से ज्यादा समय से धुर-विरोधी रहे उद्धव ठाकरे, राज ठाकरे का एक होना कई संभावनाओं की ओर इशारा कर रहा है। इसी बीच एक और खबर है जो बीएमसी चुनाव से ठीक पहले मुंबई में बदल रहे समीकरण की ओर इशारा करती है।

खबरों की मानें तो शरद पवार और अजित पवार की पार्टी भी बीएमसी इलेक्शन 2026 में एक साथ चुनावी संग्राम में उतरने को इच्छुक है। इसको लेकर वार्ता का दौर जारी है। यदि ऐसा हुआ, तो बृहन्मुंबई महानगर पालिका चुनाव में सरगर्मी और बढ़ जाएगी। इस बदले समीकरण का क्या असर हो सकता है? इस संदर्भ में तमाम सवाल हैं जिनका जवाब ढूंढ़ने की कोशिश की जाएगी।

इधर उद्धव ठाकरे-राज ठाकरे, तो उधर शरद पवार-अजित पवार के मिल रहे सुर!

चुनावी समीकरण तेजी से बदल रहा है और इसका प्रमुख कारण है राजनीतिक दलों का एक साथ आना। अभी हाल ही में उद्धव ठाकरे-राज ठाकरे ने मिलकर बीएमसी चुनाव लड़ने का फैसला लिया है। इसी बीच शरद पवार और अजित पवार की पार्टी के गठबंधन की चर्चा भी जोरों पर है। शरद पवार गुट की सांसद सुप्रिया सुले ने अपने भाई अजित पवार की पार्टी के साथ गठबंधन की संभावना पर खुलकर बात की है।

सुप्रिया सुले ने साफ तौर पर कहा है कि अजित पवार ने अपनी विचारधारा नहीं छोड़ी है और गठबंधन को लेकर उनसे बातचीत जारी है। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि निकट भविष्य में एनसीपी फिर एक बार एकजुट नजर आ सकती है। हालांकि इसको लेकर अभी कोई अंतिम और आधिकारिक फैसला नहीं हुआ है। 

क्या असर डाल सकता है नया समीकरण?

इस सवाल का पुख्ता जवाब भविष्य के गर्भ में है। दरअसल, महाराष्ट्र की सियासत में कभी शिवसेना का बोलबाला रहा है। कभी कांग्रेस तो कभी एनसीपी के सितारे भी बुलंद रहे है। हालांकि, अब वक्त के साथ जनता की पसंद बदली है और बीजेपी का प्रभुत्व सूबे में मजबूत नजर आ रहा है। ऐसे में बीएमसी चुनाव में उद्धव ठाकरे-राज ठाकरे का एक होना या शरद पवार और अजित पवार का हाथ मिलाना किस कदर लोगों को पसंद आएगा, ये 16 जनवरी को मतपेटिका खुलने और नतीजों की ऐलान होने के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा।

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