By Elections News: आपको बता दें कि उत्तरप्रदेश की आजमगढ़ (Azamgarh Bypoll) और रामपुर लोकसभा सीट (Rampur by Election) और पंजाब के संगरूर लोकसभा सीट (Sangrur Bypoll) समेत 7 विधानसभा सीटों त्रिपुरा की अगरतला, टाउन बोरदोवाली, सूरमा, जुबराजनगर, झारखंड की मांडर विधानसभा सीट, दिल्ली की राजेंद्र नगर सीट और आंध्र प्रदेश के आत्माकुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव की वोटिंग चल रही है। चल रहें चुनावों को बीजेपी के लिए सेमाफाइनल का मुकाबला माना जा रहा है। वहीं, यूपी की दोनों लोकसभा उपचुनाव में एसपी-बीजेपी के बीच जबरदस्त जोर आजमाइश है। इन सीटों पर परिणाम 26 जून को आएंगे।

आजमगढ़ और रामपुर में क्यों हो रहे उपचुनाव?

उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए आज मतदान हो रहा है। वोटिंग सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक चलेगा। ये दोनों सीटें प्रदेश के मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (एसपी) के सांसदों अखिलेश यादव और आजम खान के विधानसभा के लिए निर्वाचित होने के कारण लोकसभा से इस्तीफा देने की वजह से रिक्त हुई हैं। आजमगढ़ में 1149 मतदान केंद्र और 2176 मतदान स्थल बनाए गए हैं, जहां 18,38000 मतदाता अपने मताधिकारों का प्रयोग करेंगे।

3 लोकसभा सीटों पर मुकाबला

सीट        राज्य
संगरूर      पंजाब
आजमगढ़ यूपी
रामपुर      यूपी

बीजेपी ने भी झोंकी ताकत

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जहां इन दोनों ही सीटों पर उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशियों के पक्ष में सभाएं कीं वहीं, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक भी चुनावी रैली में हिस्सा तक नहीं लिया। चुनाव प्रचार के आखिरी दिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रामपुर में एक चुनावी सभा को संबोधित किया। इससे पहले सोमवार को उन्होंने आजमगढ़ में भी चुनावी सभाओं को संबोधित किया था।

कौन-कौन उम्मीदवार?

बीजेपी ने इस सीट पर उपचुनाव में भोजपुरी अभिनेता दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ को एक बार फिर मैदान में उतारा है। वहीं, समाजवादी पार्टी ने बदायूं से पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव को अपना उम्मीदवार बनाया है। इसके अलावा बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने पूर्व विधायक शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली पर दांव लगाया है। यहां मुख्य मुकाबला इन्हीं तीनों के बीच माना जा रहा है। वैसे, आजमगढ़ में कुल 13 उम्मीदवार इस उपचुनाव में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।

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सीट का समीकरण भी जान लीजिए

आजमगढ़ लोकसभा क्षेत्र में यादव और मुस्लिम मतदाताओं का दबदबा है। यहां यादव वोटरों की तादाद 21 प्रतिशत है जबकि मुस्लिम मतदाता 15 प्रतिशत हैं। इसके अलावा 20 प्रतिशत दलित तथा 18 प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग के गैर यादव मतदाता हैं। वर्ष 2019 में हुए पिछले लोकसभा चुनाव में एसपी और बीएसपी ने गठबंधन कर चुनाव लड़ा था और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने यहां से भाजपा प्रत्याशी दिनेश लाल यादव निरहुआ को तीन लाख 61 हजार मतों से परास्त किया था। रामपुर लोकसभा क्षेत्र में 17 लाख से अधिक मतदाता हैं। यहां 50 प्रतिशत हिंदू मतदाता और करीब 49 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता हैं। वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में एसपी उम्मीदवार आजम खान ने बीजेपी प्रत्याशी जयाप्रदा को एक लाख नौ हजार 997 मतों के भारी अंतर से पराजित किया था। रामपुर लोकसभा उपचुनाव में सीधा मुकाबला एसपी के आसिम राजा और बीजेपी के घनश्याम सिंह लोधी के बीच है। लोधी पूर्व में आजम खान के करीबी थे। उन्होंने हाल ही में बीजेपी का दामन थामा है।

भगवंत मान के इस्तीफे के बाद चुनाव

पंजाब के सीएम भगवंत मान यहां से सांसद थे। उनके राज्य के सीएम चुन लिए जाने के बाद यहां उपचुनाव हो रहा है। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने धूरी के पूर्व विधायक दलवीर सिंह गोल्डी को उपचुनाव में उतारा है, जबकि भाजपा ने बरनाला के पूर्व विधायक केवल ढिल्लों को मैदान में उतारा है, जो चार जून को पार्टी में शामिल हुए थे। शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के प्रमुख सिमरनजीत सिंह मान भी चुनावी मैदान में हैं। SAD ने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के दोषी बलवंत सिंह राजोआना की बहन कमलदीप कौर को प्रत्याशी बनाया है। भगवंत मान के धूरी से 20 फरवरी को हुए विधानसभा चुनाव लड़ने और जीतने के बाद संगरूर लोकसभा सीट खाली हुई थी। मान ने 2014 और 2019 में संगरूर लोकसभा सीट से चुनाव जीता था और धूरी सीट से विधानसभा चुनाव जीतने के बाद उन्होंने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था।

संगरूर लोकसभा सीट का समीकरण

संगरूर लोकसभा क्षेत्र में 15,69,240 पात्र मतदाता हैं जिनमें 8,30,056 पुरुष, 7,39,140 महिलाएं और 44 ट्रांसजेंडर हैं। कुल 16 उम्मीदवार मैदान में हैं जिनमें 13 पुरुष और तीन महिलाएं हैं।

त्रिपुरा में 4 सीटों पर बीजेपी की परीक्षा

त्रिपुरा की 60 सदस्यीय विधानसभा के लिए चुनाव होने में अभी करीब आठ महीने की देरी है। उससे पहले हो रहे इस उपचुनाव को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है और ‘सेमीफाइनल’ करार दिया जा रहा है। सभी सीटों पर मुकाबले बहुकोणीय हैं। चार विधानसभा क्षेत्रों- अगरतला, टाउन बोरदोवाली, सूरमा, जुबराजनगर, तीन जिलों- पश्चिम त्रिपुरा, उत्तरी त्रिपुरा और धलाई जिले है। कुल 1,89,032 मतदाता भाजपा, माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चा, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और अन्य स्थानीय दलों के 22 उम्मीदवारों के राजनीतिक भाग्य का फैसला करेंगे।

कौन कहां से लड़ रहा चुनाव?

बीजेपी के पूर्व मंत्री सुदीप रॉय बर्मन, जो अब कांग्रेस के टिकट पर अगरतला निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं। राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण अगरतला निर्वाचन क्षेत्र से पांच बार विधायक रहे हैं बर्मन। उपचुनाव का फोकस टाउन बोरदोवाली विधानसभा क्षेत्र है, जहां कांग्रेसी से बीजेपी नेता बने 69 वर्षीय मुख्यमंत्री माणिक साहा चुनाव लड़ रहे हैं। उनका मुकाबला पांच उम्मीदवारों से है। राज्य पार्टी अध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य साहा, जिन्होंने बिप्लब कुमार देब के शीर्ष पद से इस्तीफे के एक दिन बाद 15 मई को पदभार ग्रहण किया था, पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं। मुख्यमंत्री के लिए यह उपचुनाव जीतना बहुत जरूरी है, क्योंकि संवैधानिक बाध्यता के तहत उन्हें छह महीने के भीतर विधानसभा का सदस्य बनना है। बीजेपी के तीन विधायकों के इस्तीफे और सीपीएम विधायक रामेंद्र चंद्र देवनाथ के निधन के बाद उपचुनाव कराना जरूरी हो गया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री देब के खिलाफ बीजेपी विधायकों के एक वर्ग के बीच खुली नाराजगी के बीच तीन विधायकों – सुदीप रॉय बर्मन (अगरतला), आशीष कुमार साहा (नगर बोरदोवाली) और आशीष दास (सूरमा) ने भाजपा और विधानसभा छोड़ दी थी। बीजेपी के पूर्व मंत्री रॉय बर्मन और साहा इस साल फरवरी में कांग्रेस में शामिल हुए थे, जबकि दास पिछले साल टीएमसी में शामिल हुए थे। दास ने पिछले महीने टीएमसी से भी इस्तीफा दे दिया था। जुबराजनगर निर्वाचन क्षेत्र से छह बार चुने गए देबनाथ कई बार विधानसभा अध्यक्ष रहे। किडनी फेल होने के कारण 2 फरवरी को कोलकाता में उनका निधन हो गया था।

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