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Shashi Tharoor: पीएम मोदी के मुरीद हुए कांग्रेस सांसद? राहुल गांधी से मतभेद की खबरों के बीच की तारीफ, क्या छोड़ेंगे हाथ का साथ?

पार्टी लाइन से हटकर बयानबाजी का आरोप झेल रहे Shashi Tharoor ने एक बार फिर पीएम मोदी की तारीफ की है। इंडियन एक्सप्रेस द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम का हिस्सा बनते हुए सांसद थरूर ने प्रधानमंत्री के नीतियों की बात की है।

Shashi Tharoor
Picture Credit: गूगल (पीएम मोदी, शशि थरूर, राहुल गांधी - सांकेतिक तस्वीर)

Shashi Tharoor: पार्टी लाइन से इतर बयानबाजी कर सुर्खियां बटोर चुके शशि थरूर का खास अंदाज सामने आया है। कांग्रेस सांसद ने लगभग-लगभग रूप से खुलकर पीएम मोदी की तारीफ कर दी है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट साझा करते हुए शशि थरूर ने पीएम मोदी के संबोधन को आर्थिक दृष्टिकोण के साथ सांस्कृतिक आह्वान भी बताया, जिसने राष्ट्र को प्रगति के लिए तत्पर रहने का आह्वान किया।

कांग्रेस सांसद शशि थरूर का ये रुख ऐसे दौर में सामने आया है जब उनके और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के बीच मतभेद की खबरें सामने आ चुकी हैं। बीते दिनों लाल कृष्ण आडवाणी के जन्मदिवस पर उनकी तारीफ करने वाले शशि थरूर आगे क्या करेंगे इसको लेकर तमाम तरह की चर्चाएं चल रही हैं। सवाल उठ रहे हैं कि क्या कांग्रेस सांसद हाथ का साथ छोड़ेंगे? ऐसे में आइए हम आपको इस सवाल का जवाब देने की कोशिश करते हैं।

पीएम मोदी के मुरीद हुए कांग्रेस सांसद Shashi Tharoor?

सांसद थरूर ने फिर एक बार सधी टिप्पणी करते हुए पीएम मोदी का जिक्र किया है। इंडियन एक्सप्रेस के निमंत्रण पर कार्यक्रम का हिस्सा बनने पहुंचे शशि थरूर ने पीएम मोदी को ध्यान से सुना।

कांग्रेस सांसद अपने एक्स हैंडल से पोस्ट जारी कर लिखते हैं कि “पीएम ने इस बात पर जोर दिया कि भारत सिर्फ एक उभरता हुआ बाजार नहीं, बल्कि दुनिया के लिए एक उभरता मॉडल है। इसके आर्थिक लचीलेपन का ज़िक्र किया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उन पर हमेशा चुनावी मूड में रहने का आरोप लगाया जाता रहा है, लेकिन असल में वे लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए भावनात्मक मूड में थे।”

शशि थरूर आगे लिखते हैं कि “भाषण का एक अहम हिस्सा मैकाले की 200 साल पुरानी गुलामी मानसिकता की विरासत को पलटने पर केंद्रित था। पीएम मोदी ने भारत की विरासत, भाषाओं और ज्ञान प्रणालियों में गौरव की पुनर्स्थापना के लिए 10 साल के राष्ट्रीय मिशन की अपील की। ​​उन्होंने यह भी स्वीकार किया होता कि कैसे रामनाथ गोयनका ने भारतीय राष्ट्रवाद की आवाज उठाने के लिए अंग्रेजी का इस्तेमाल किया था। पीएम का संबोधन आर्थिक दृष्टिकोण और सांस्कृतिक आह्वान दोनों था, जिसने राष्ट्र को प्रगति के लिए तत्पर रहने का आह्वान किया।” सांसद थरूर के इस रुख की अब खूब चर्चा हो रही है।

क्या शशि थरूर छोड़ेंगे हाथ का साथ?

यहां हाथ का साथ छोड़ने का आशय पार्टी का साथ छोड़ने से है। ये सवाल तब उठता है जब शशि थरूर राहुल गांधी से मतभेद की खबरों के बीच केन्द्र सरकार, पीएम मोदी या कांग्रेस विरोधी मानसिकता से जुड़े लोगों की तारीफ करते हैं। इससे पूर्व 8 नवंबर को शशि थरूर ने एक लेख के माध्यम से वंशवाद की राजनीति के खिलाफ अपने विचार रखे थे।

इससे इतर उन्होंने बीजेपी मार्गदर्शक मंडल के सदस्य लाल कृष्ण आडवाणी के जन्मदिन पर उनकी तारीफ की थी। अब शशि थरूर अपने नेता राहुल गांधी के प्रतिद्वंदी पीएम नरेन्द्र मोदी की तारीफ कर नई चर्चा छेड़ रहे हैं। पार्टी लाइन से हटकर बयानबाजी कर रहे शशि थरूर पर इसीलिए सवाल उठ रहे हैं कि क्या वे पार्टी का साथ छोड़ सकते हैं। हालांकि, सांसद थरूर ने ऐसी किसी भी संभावना से इंकार करते हुए अपनी धुन में राजनीति जारी रखने की बात कही है।

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