नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार को बड़ा झटका दिया है. कोर्ट ने केजरीवाल के उस फैसले पर रोक लगा दी है, जिसमें उन्होने कहा था कि, कोरोना संकट के कारण जो गरीब परिवार किराया का भुगतान नहीं कर पा रहे हैं, उनके किराये का भुगतान सरकार करेगी. पिछले 10 सितबंर को दिल्ली सरकार ने साफ कहा था कि, यह मामला विचाराधीन है।
क्या था केजरीवाल सरकार का ऐलान
दरअसल कोरोना संकट से जूझ रहे गरीब परिवारों को दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने भरोसा दिया था, कि गरीब किरायेदार के किराए का भुगतान सरकार करेगी. हालांकि, तब इस योजना को लागू नही किया जा सका था. इसको लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी.
हाई कोर्ट ने क्या कहा
दरअसल सिंगल जज के फैसले के खिलाफ दिल्ली सरकार ने फिर से हाई कोर्ट में अपील, जिसपर चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस ज्योति सिंह की बेंच ने सिंगल जज के फैसले पर लगाई. अब इसपर अगले 29 नवंबर को फैसला होगा, जिसमें स्थिति साफ हो पाएगी।
दिल्ली सरकार का पक्ष
सुनवाई में दिल्ली सरकार का पक्ष रखने के लिए सीनियर वकील मनीष वशिष्ठ को रखा गया है. मनीष वशिष्ठ ने कहा कि, “ऐसा कोई वादा नहीं किया गया था. हमने सिर्फ इतना कहा था कि प्रधानमंत्री के आदेश का पालन करें. हमने मकान मालिकों से किराए के लिए किरायेदारों को मजबूर न करने को कहा था और ये भी कहा था कि अगर किरायेदारों को कोई साधन नहीं मिलते हैं तो सरकार इस पर गौर करेगी.”
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हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा कि, “तो क्या आपका इरादा भुगतान करने का नहीं है? यहां तक कि 5 फीसदी भी नहीं?” तो जवाब देते हुए उन्होंने कहा, ‘केवल तभी जब मांग हो.’
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